नई सरकार हिंदुत्व की होगी या मोदीत्व की?

दिल्ली : मोदी के करीबी का दावा
भारत की नई सरकार ‘हिंदुत्व पर नहीं मोदीत्व पर आधारित होगी’ ये दावा है नरेंद्र मोदी के करीब समझे जाने वाले सबसे जाने-पहचाने मुसलमान व्यापारी ज़फर सरेशवाला का।
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे अहमदाबाद के व्यापारी ज़फर सरेशवाला ने बीबीसी से खास बातचीत की और कहा है कि 'मोदीत्व' कोई विचारधारा नहीं है बल्कि नरेंद्र मोदी के प्रशासन का अंदाज़ है।
लोगों में मोदी की छाप
सरेशवाला का कहना था, ''मोदी हिंदुत्व विचारधारा वाले ज़रूर समझे जाते जाते हैं लेकिन वो संविधान की प्रक्रिया में जो फिट बैठे उसे ही स्वीकार करेंगे। जो भी संगठन संविधान को मानकर चले उससे मोदी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।''
दो टूक शब्दों में बोलने वाले ज़फर सरेशवाला कहते हैं कि मोदी के मंत्रिमंडल में पहले मंत्री से लेकर आखिरी मंत्री तक पर मोदी की छाप होगी और किसी भी मंत्रालय के सचिव का उनसे सीधा संपर्क होगा।
लेकिन क्या इससे तानाशाही का ख़तरा पैदा नहीं होता? सरेशवाला कहते हैं कि मोदी सबकी सुनते हैं लेकिन फैसला उनका होता है और 'हमें ऐसा लीडर चाहिए जो फैसला ले सके'।
नए प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन जिस नरेंद्र मोदी को नज़दीक से जानते हैं वो आखिर कौन हैं?
क्या हैं नरेंद्र मोदी?
इस सवाल के जवाब में ज़फर सरेशवाला कहते हैं, "वो एक मेहनती और वक्त के पाबंद इंसान हैं। उन्होंने गुजरात में सरकारी कामकाज का तरीका बदला। मोदी हर चीज़ का फैसला तुरंत करते हैं। वो ईमानदार हैं और खाने के शौकीन हैं। मेहमान-नवाज़ी के लिए जाने जाते हैं। मोदी के बारे में लोगों का चाहे जो भी विचार हो, लेकिन जो भी उनसे एक बार मिल लेता है, उनके विचार उन्हें लेकर बदल जाते हैं।''
पाठकों ने भी ज़फ़र सरेशवाला से सवाल पूछे, अभिषेक कुमार के इस सवाल के जवाब में कि अगर वो खुद गुजरात दंगों के पीड़ित होते तो क्या नरेंद्र मोदी का समर्थन करते?
सरेशवाला ने कहा, ''दंगों में सबसे ज़्यादा माली नुकसान हमारे ही परिवार का हुआ और सिर्फ 2002 ही नहीं मुंबई सहित पहले के दंगों में भी हमें नुकसान पहुंचा है, लेकिन अब पीछे देखने का समय खत्म हो गया है। इस्लाम में शोक भी तीन दिन से ज़्यादा नहीं दिया जाता है, ग़म अपनी जगह पर है लेकिन इज़हारे-ए-ग़म के बाद ज़िम्मेदारी आगे बढ़ने की होती है।''
मुसलमानों के रहनुमा मोदी?
तौफ़ीक अंसारी के इस सवाल के जवाव में कि क्या मोदी चुनाव में अपने वादे निभा पाएंगे और उसी तरह मुसलमानों के रहनुमा बन पाएंगे जिस तरह हिंदू उन्हें अपना मानते हैं उन्होंने कहा, ''हम नहीं चाहते कि मोदी सिर्फ मुसलमानों के रहनुमा बनें। जब वो सभी के लिए सोचेंगे तो उसमें मुसलमान भी होंगे। मुसलमान किसी से अलग क्यों हों? हम चाहते हैं कि वो मुसलमानों को भी दूसरों की तरह मौका दें और उनके साथ भेदभाव न करें।''
अर्थव्यवस्था का क्या होगा, क्या मोदी के पास कोई ‘क्विक फिक्स’ तकनीक है या वो पूरी अर्थव्यवस्था को सिरे से बदलेंगे इस सवाल के जवाब में ज़फ़र सरेशवाला कहते हैं, ''मोदी को कोई पैच-वर्क पसंद नहीं वो अपनी तैयारी शुरू कर चुके होंगे। वो पूरी व्यवस्था को सुधारने पर ध्यान देंगे।’’
सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या वो पुरानी सरकार की नीतियों को बदलेंगे? इसके जवाब में सरेशवाला का कहना है, ''अगर पुरानी नीतियों में से कुछ एक सही हैं तो उन्हें मोदी बदलेंगे नहीं। कोई नीति किसी एक सरकार के अंतर्गत बनाई गई सिर्फ इसी बात पर वो उसे बदल नहीं देंगे, बल्कि उसकी ईमानदार से समीक्षा करेंगे। नरेंद्र मोदी कृषि, पर्यटन समेत सभी बड़े उद्योगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे।''
मुसलमान युवकों की गिरफ्तारी
नूरुल हुदा ने सरेशवाला से सवाल किया कि पिछले दिनों कई बेगुनाह मुसलमान युवकों की गिरफ्तारी के मामले सामने आए हैं क्या इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी ने कोई कार्रवाई की है?
ज़फ़र सरेशवाला का कहना है कि, ''नरेंद्र मोदी ने गुजरात में फास्ट ट्रैक अदालत की हिमायत की है और बेगुनाहों के साथ नाइंसाफ़ी न हो इसके लिए पर्याप्त क़दम उठाए गए हैं।
गुजरात की जेलों में बंद कैदियों में छह फीसदी से कम मुसलमान हैं जबकि महाराष्ट्र की जेलों में इससे कहीं ज़्यादा मुसलमान क़ैद हैं, लेकिन सवाल केवल गुजरात पर उठता है।''
मदरसों के आधुनिकिरण का सवाल
तौफ़ीक अंसारी ने एक सवाल ये भी पूछा कि क्या नरेंद्र मोदी मदरसों के आधुनिकिरण की दिशा में भी काम करेंगे?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, ''गुजरात के कई बड़े मदरसों से जुड़े लोग मोदी के पास आए और बोले की हमारे मदरसों की डिग्री की पहचान नहीं होती। ये बड़ी दिक्कत की बात थी क्योंकि नौ साल की पढ़ाई के बाद भी छात्रों की कहीं गिनती नहीं होती थी।
ऐसे में मोदी जी ने पाठ्यक्रम मंगवाया और ये ऐलान किया की मदरसों के बच्चे सीधे एसएससी की परीक्षा में बैठ सकते हैं। इसी तरह से वो अन्य समस्याओं को भी सुलझाएंगे।''
साकेत कुमार ने सवाल किया कि क्या अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी ने एक चुनैती की तरह देखा या फिर उन्हें पता था कि वो इन्हें हरा सकते हैं?
इस पर सरेशवाला ने कहा कि, 'अरविंद केजरीवाल को नरेंद्र मोदी ने कभी कुछ नहीं समझा न और राहुल गांधी से भी उन्हें कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं मिली।'