मॉस्को । रूस एक ऐसा लेजर वेपन तैयार कर रहा है, जो अंतरिक्ष में मौजूद उसके सैटेलाइट्स को दुनिया की नजरों से छिपाने का काम करेगा।एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिलती है। रिपोर्ट के अनुसार इस हथियार को बनाने का आ‍इडिया बस यही है कि देश के जासूसी सैटेलाइट्स के ऑप्टिकल सेंसर्स को लेजर लाइट्स से कवर किया जा सके। लेजर टेक्‍नोलॉजी अब इतनी आगे बढ़ चुकी है कि कई देश इसकी मदद से सैटेलाइट को कवर करना बेहतर मान रहे हैं। अगर रूसी सरकार इस तरह का हथियार बनाने में सक्षम होती है, तब फिर वहां देश के एक बड़े हिस्‍से को ऑप्टिकल सेंसर्स वाले सैटेलाइट्स की नजरों से बचा सकेगी। इसके अलावा इस टेक्‍नोलॉजी की मदद से आने वाले समय में ऐसे लेजर हथियार तैयार किए जा सकते हैं, जिनकी मदद से सैटेलाइट्स को पूरी तरह से अक्षम किया जा सकेगा। पहली लेजर को साल 1960 में विकसित किया गया था और तब से लेकर आज तक इस कई तरह से प्रयोग किया जा चुका है।
लेजर को मिलिट्री के ऑपरेशंस में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। इसका सबसे अच्‍छा प्रयोग एयरबॉर्न लेजर है, जिसे अमेरिकी मिलिट्री ने शामिल किया था। अमेरिकी मिलिट्री ने इसकी मदद से कई बैलेस्टिक मिसाइल्‍स को ढेर किया था। एबीएल बोइंग 747 पर बड़े पैमाने पर फिट की गई है और ये बहुत ही ज्‍यादा पावरफुल है। इस प्रोग्राम को थर्मल मैनेजमेंट और केमिकल लेजर के रखरखाव के चलते बंद किया गया था। रूस जो लेजर हथियार तैयार कर रहा है, उस कलिना नाम दिया गया है। इसका मकसद उन सैटेलाइट्स के ऑप्टिकल सेंसर्स को पूरी तरह से अंधा कर देना है, जो इंटेलीजेंस के मकसद से तैनात किए गए हैं। जासूसी के लिए प्रयोग होने वाले सैटेलाइट्स में इसतरह के ऑप्टिकल सेंसर्स का प्रयोग होता है जो लो-अर्थ ऑर्बिट होते हैं. धरती से कुछ सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी पर होते हैं। ऑप्टिकल सेंसर्स की मदद से इन सैटेलाइट् को कोई खास इंटेलीजेंस ग्राउंड स्‍टाफ तक पहुंचाने में कुछ ही मिनटों का समय लगता है।