चाणक्य निति में आचार्य ने कहा है कि मनुष्य को रिश्ते में शक को नहीं आने देना चाहिए. शक इस रिश्ते को कमजोर करता है. इससे गलतफहमी आती है और बाद में इसके कारण जीवन में जहर घुल जाता है. एक दूसरे पर विश्वास ही इस जहर को नष्ट करता है.

व्यक्ति का अहंकार दांपत्य जीवन में जहर घोलने का काम करता है. पति-पत्नी के रिश्ते में अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए. इससे दूर रहने का प्रयास करना चाहिए.

दांपत्य जीवन को यदि सुखद बनाना है तो इसमें झूठ को कहीं भी स्थान नहीं देना चाहिए. पति और पत्नी के रिश्ते को झूठ बहुत कमजोर कर देता है.

पति और पत्नी का रिश्ता बेहद पवित्र माना गया है. इसे समझदारी और आपसी तालमेल के साथ निभाना चाहिए. इस मर्यादा को कभी किसी को नहीं लांघना चाहिए.

आदर और सम्मान किसी भी रिश्ते को मजबूत और लंबे समय तक चलाने की निशानी है. जब किसी भी रिश्ते में आदर और सम्मान की कमी आने लगती है तो वो रिश्ता टूटने लगता है.