नई दिल्ली । भारतीय सेना बहुत जल्द चीन की सीमा पर ऐसा रडार लगाने वाली है, जिसकी मदद से पहाड़ों के पीछे, घाटियों के अंदर और जंगलों में छिपे हथियारों को खोजकर उनकी लोकेशन पता लगाई जा सकेगी। भारतीय सेना ने पहले भी यह रडार सीमा पर लगा रखा है। लेकिन अब इसका अपग्रेडेड माउंटेन वर्जन तैनात किया जाएगा। इसके लिए सेना ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को स्वाती एमके-2 वेपन लोकेटिंग रडार बनाने को कहा है।
इसकी कीमत को लेकर किसी तरह का खुलासा नहीं किया गया है। बीईएल की हेड आनंदी रामालिंगम ने हाल ही में मीडिया को कहा था कि उनके पास स्वाती एमके-2 माउंटेन वर्जन के अतिरिक्त आदेश हैं। इनका उपयोग ऊंचाई वाले इलाकों में किया जाएगा। वहीं, डिफेंस इंड्स्ट्री के जानकार लोगों की माने तो स्वाती एमके-2 वेपन लोकेटिंग रडार का माउंटेन वर्जन स्वाती-ऐरे एमके-1 वर्जन से हल्का होगा। लेकिन डिजाइन एक जैसी होगी। क्षमता पहले से कहीं ज्यादा। आइए जानते हैं कि ये रडार किस तरह से दुश्मन के हथियारों का पता लगाता है।
स्वाती एमके-2 वेपन लोकेटिंग रडार को इसलिए बनाया गया था ताकि अपनी ओर आती दुश्मन की आर्टिलरी, रॉकेट या मोर्टार्स को ट्रैक किया जा सके।  पहले स्वाती को डीआरडीओ, बीईएल और एलआरडीई ने मिलकर बनाया था। अब तक एम-के1 के 46 यूनिट्स बनाकर पूरे देश में तैनात किए गए हैं। स्वाती एमके-1 2017 से देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात है।
स्वाती एमके-2 वेपन लोकेटिंग रडार  30 किलोमीटर दूर से आते आर्टिलरी को पहचान लेता है। उसकी दिशा और गति बता देता है। वहीं 4 से 80 किलोमीटर दूर से आ रहे रॉकेट या छोटे मिसाइल को ट्रेस कर लेता है, साथ ही 2 से 20 किलोमीटर दूर से आ रहे मोर्टार के गोले को भी पहचान लेता है। इस तरह के रडार की सबसे ज्यादा कमी करगिल युद्ध के दौरान साल 1999 में महसूस हुई थी। जबकि पाकिस्तान के पास अमेरिका का एएन/टीपीक्यू-36 फायर फाइंडर रडार तैनात था। करगिल युद्ध में 80 फीसदी भारतीय जवानों की मौत आर्टिलरी फायर में ही हुई थी।
सन 2002 में भारत ने अमेरिका से एएन/टीपीक्यू-37 फायर फाइंडर रडार मंगाया। 12 रडारों की डिलिवरी मई 2007 में पूरी हुई। बाद में इसी के आधार पर भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी स्वाती रडार बनाना शुरु किया।  भारत ने स्वाती एमके-2 वेपन लोकेटिंग रडार को आर्मेनिया की सरकार को भी बेचा है। वहां की सेना भी इसका उपयोग कर रही है। स्वाती एक साथ 7 हथियारों के आने की जानकारी दे देता है। चाहे ऊंचाई से आ रहा हथियार हो या फिर नीचे से। इसकी रेंज 50 किलोमीटर है।