बीजिंग । चीन ने बायोवेपन के तौर पर कोरोना वायरस को तैयार किया था। वुहान लैब में काम करने वाले एक रिसर्चर ने ये दावा किया है। इंटरनेशनल प्रेस एसोसिएशन को दिए एक इंटरव्यू में रिसर्चर चाओ शाओ ने कहा- मुझे और मेरे साथियों को टेस्टिंग के लिए वायरस के 4 स्ट्रेन्स दिए गए थे, जिससे ये पता चल सके कि कौन सा स्ट्रेन सबसे ज्यादा संक्रामक है।
एक रिपोर्ट में बताया कि यह इंटरव्यू 2020 का है, लेकिन अब सामने आया है। रिसर्चर ने 26 मिनट की बातचीत में कई खुलासे किए। रिसर्चर ने बताया कि कैसे उनके एक साथी शान चाओ को कोरोना के स्ट्रेन्स पर टेस्टिंग करने के लिए कहा गया था। इस जांच का मकसद ये जानना था कि कौन सा स्ट्रेन सबसे जल्दी और सबसे प्रभावी तरह से इंफेक्शन फैला रहा है। साथ ही कौन सा स्ट्रेन इंसानों पर सबसे ज्यादा असरदार है। कुछ दिन पहले ही एक अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से ही लीक हुआ था और बाद में इसने पूरी दुनिया को चपेट में ले लिया। रिपोर्ट के मुताबिक वुहान लैब के तीन वैज्ञानिक सबसे पहले कोरोना इन्फेक्शन का शिकार हुए थे। ये 3 वैज्ञानिक बेन हू, यू पिंग और यान झू थे। तीनों इस लैब के लीड रिसर्चर्स थे।
चाओ शाओ ने बताया कि 2019 के मिलिट्री वल्र्ड गेम्स के दौरान हमारे कुछ रिसर्चर्स साथी लापता हो गए थे। बाद में उनमें से एक ने बताया था कि हमें अलग-अलग देशों से आए खिलाडिय़ों की हाइजीन कंडीशन्स चेक करने के लिए होटल भेजा गया था। खिलाडिय़ों के हेल्थ चेक-अप के लिए वायरोलॉजिस्ट की जरूरत नहीं होती है। दरअसल, इन लोगों का असली टारगेट कोरोना फैलाना था। ऐसा ही एक और मामला साथी शान चाओ का था। उसे शिनजियांग के री-एजुकेशन कैंप में रह रहे उइगर लोगों के हेल्थ चेक-अप के लिए भेजा गया था। शान चाओ ने अप्रैल 2020 में कोरोना स्ट्रेन पर रिसर्च पर काम किया था। शाओ ने आशंका जताई कि चाओ को असल में या तो कोरोना फैलाने या फिर इंसानों पर ये कैसे रिएक्ट करता है, ये देखने के लिए भेजा गया था।