भोपाल । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता से अपनी विदाई के बाद अपनी उपलब्धियां गिनाकर कहा कि जब उन्होंने कमान संभाली थी, तब यह एक बीमारू राज्य था। शिवराज ने 2003 से अब तक की अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा कि यदि उनसे कभी कोई गलती हुई हो तब क्षमा मांगते हैं। सीएम हाउस छोड़ने से पहले शिवराज ने यह जताने की कोशिश की कि उन्होंने पार्टी के फैसले को सहजता से लिया है और उनकी भूमिका एक कार्यकर्ता की है, भाजपा जो भी काम देगी उस करता रहूंगा। 
शिवराज ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि जब विदाई हुई है, तब भाजपा को भारी बहुमत से जीत मिली है और अब तक की सर्वाधिक वोट शेयर वाली (48.55 फीसदी) सरकार बनाकर जा रहे हैं। उन्होंने इस बात का भी संतोष जाहिर किया कि जब उन्होंने कमान संभाली थी तब यह बीमारू राज्य था और उन्होंने विकास का लंबा सफर तय किया। शिवराज ने कई आंकड़े पेश करते हुए अपनी रिपोर्ट कार्ड भी सामने रखी और बताया कि कैसे उनके कार्यकाल में मध्य प्रदेश का विकास हुआ।
शिवराज ने कहा, एक अच्छा नेतृत्व पार्टी ने तय किया है। पार्टी के कार्यकर्ता के नाते, मैंने सदैव कहा है कि भाजपा मिशन है मेरे लिए, जनता की सेवा का, वह काम लगातार चलता रहेगा। मुख्यमंत्री रहते हुए भी जनता से मेरे रिश्ते कभी जनता और मुख्यमंत्री के नहीं रहे। परिवार के रूप में रहे हैं। मामा का रिश्ता है प्यार का रिश्ता और भइया का रिश्ता है विश्वास का रिश्ता। यह प्यार और विश्वास के रिश्ते को जब तक मेरी सांस चलेगी, मैं टूटने नहीं दूंगा और उनकी सेवा में जो बेहतर बन पड़ेगा।
वहीं लोकसभा चुनाव लड़ने से जुड़े सवाल को शिवराज ने काल्पनिक बताकर कहा कि पार्टी जो तय करेगी वह करुंगा। शिवराज ने कहा, मैंने पहले भी कहा है कि हम एक बड़े मिशन के लिए भाजपा का काम करते हैं और कार्यकर्ता हैं। मिशन तय करता है कि हम कहां रहे। यह घटिया सोच है कि मैं कहा रहूंगा, मैं कहां रहूंगा। अब ऐसा आदमी कुछ नहीं कर सकता, सिवाय, मैं नहीं बना, रोऊं गाऊं, बड़ा अन्याय हो गया। काहे का अन्याय हो गया। एक साधारण कार्यकर्ता को 18 साल मुख्यमंत्री बनाकर रखा भाजपा ने, कोई दूसरा पहलू नहीं देखता। सबकुछ दिया भाजपा ने मुझे अब मुझे भाजपा को देने का वक्त आया है। यह सोच क्यों नहीं हो सकती है। इसलिए मैं इससे ऊपर उठ गया हूं।
मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा हाल ही दिए गए इस तरह के बयान को लेकर जब चौहान से सवाल किया गया तब उन्होंने कहा, उस दिन जो संदर्भ था वह यह था कि बाकी दिल्ली में हैं, आप दिल्ली जाएंगे क्या। एक बात मैं बड़ी विनम्रता से कहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर मैं मरना समझूंगा। वह मेरा काम नहीं है। इसलिए मैंने कहा था कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा।