क्या आपने कभी सोचा है कि इस दुनिया में किस पर भरोसा किया जाए और किससे सावधान रहा जाए? कौन है आपका सच्चा मित्र और कौन है वह जो मीठी बातों के पीछे आपकी पीठ में छुरा घोंपने को तैयार बैठा है? हम सभी की ज़िंदगी में कुछ लोग फरिश्तों की तरह आते हैं, तो कुछ दुश्मन बनकर. असली चुनौती होती है इन लोगों को पहचानना. सामने वाले चेहरे के पीछे छिपे असली चेहरे को समझना. अगर आपने यह हुनर सीख लिया तो यकीन मानिए, फिर कोई आपको न ठग पाएगा, न धोखा दे पाएगा. महान आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी उतनी ही प्रभावशाली और सार्थक हैं, जितनी हजारों साल पहले थीं. चलिए जानते हैं चाणक्य की बताई कुछ ऐसी नीतियों के बारे में, जिनसे आप हर इंसान की असली पहचान कर सकते हैं.

वाणी ही असली आईना है
चाणक्य के अनुसार, इंसान अपनी वाणी से पहचाना जाता है. वह व्यक्ति जो हर वक्त आपकी हां में हां मिलाता है, ज़रूरत से ज़्यादा तारीफ करता है और आपकी गलतियों पर कभी कुछ नहीं कहता, वो आपके भले की कामना नहीं कर रहा. ऐसे लोग जानने वाले और मिलने वालों की लिस्ट में तो आ सकते हैं लेकिन कभी अच्छे मित्र नहीं हो सकते. ऐसे लोग कभी मुसीबत में आपका साथ नहीं देते हैं.

चापलूस की पहचान
जो हर समय आपकी तारीफ करे और कभी आपकी कमियां न बताए.
जो दूसरों की बुराई आपके सामने करे.
जो बहुत मीठा बोलता है लेकिन काम कुछ नहीं करता.
ऐसे लोग बेहद खतरनाक हो सकते हैं.

एक सीख देने वाली कहानी
एक राजा के दरबार में दो मंत्री थे. एक मंत्री हर समय राजा की तारीफ करता, दूसरा विनम्रता से गलतियों की ओर ध्यान दिलाता. राजा ने पहले मंत्री को अपना खास बना लिया. पर वही मंत्री, मीठी बातों की आड़ में, दुश्मनों से मिल गया और राजा के खिलाफ साजिश रच दी. जब तक राजा को समझ आया- बहुत देर हो चुकी थी. इसलिए ऐसे लोग जहरीले सांपों से भी घातक होते हैं.

कर्म ही असली पहचान
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान की पहचान उसकी बातों से नहीं, उसके कर्मों से होती है. जो कठिन समय में आपका साथ दे, वही आपका सच्चा साथी है. जो सिर्फ बातें करे, वक़्त पर गायब हो जाए, वह सिर्फ स्वार्थी है.

ये पांच संकेत पहचानिए
    1. जो हमेशा तारीफ करे, पर कभी कमी न बताए वह चापलूस है.
    2. जो दूसरों की बुराई करे- वह आपकी भी करता होगा.
    3. जो जरूरत से ज़्यादा मीठा बोले- उसके इरादे ज़हरीले हो सकते हैं.
    4. जो मदद के समय बहाने बनाए- वह मतलबपरस्त है.
    5. जो मुश्किल समय में आपके साथ खड़ा हो- वही सच्चा मित्र है.

चाणक्य के चार महान परीक्षण
छोटी परीक्षा: किसी पर भरोसा करने से पहले उसे छोटी ज़िम्मेदारी देकर परखिए.
पैसा और ताकत: किसी को पैसे या पावर दीजिए, असली चेहरा सामने आ जाएगा.
गुस्से की घड़ी: गुस्से में इंसान का असली स्वभाव दिखता है.
बुरा वक़्त: जब कुछ नहीं होता, तब साथ खड़ा इंसान ही सच्चा होता है.

धोखेबाज़ से निपटने के उपाय
भावनाओं पर काबू रखें
सबूत इकट्ठा करें
धीरे-धीरे दूरी बनाएं
उसकी चाल उसी पर इस्तेमाल करें
कमजोर नहीं, ताकतवर बनें, मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से.

असली जीत क्या है?
केवल धोखेबाज़ से निपटना ही नहीं, बल्कि उसे हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से बाहर निकाल देना ही असली जीत है.