हिन्दी पत्रकारिता में उजास के लिए आओ फिर से दीप जलाएँ •पंकज पाठक•

ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया
स्मृति : रज्जूबाबू
भोपाल। रज्जूबाबू की आज 31 वीं पुण्यतिथि है।1991 में दिल्ली में उनका अवसान हुआ, तब वे नवभारत टाइम्स के प्रधान संपादक थे। नईदुनिया, इंदौर में पत्रकारिता के जीवन की एक लंबी पारी खेलने के बाद वे दिल्ली गए थे।
इंदौर में आज उन्हें एक बड़े जलसे में याद किया जा रहा है।बीस पत्रकारों का सम्मान भी है, जिसमें अधिकांश नईदुनिया से जुड़े रहे हैं और कुछ इस वॉट्सऐप समूह “ नईदुनिया पूर्वार्द्ध “ के सदस्य भी हैं तथा कुछ रहे हैं।सम्मानित होने वालों में प्रमुख हैं— अभय जी, महेश जी, रवींद्र जी, श्रवण जी, ताम्रकर जी, बाकरे जी, बहादुर जी, श्रीकृष्ण बेडेकर जी और सतीश जोशी जी।प्रसन्नता की बात है।
इंदौर प्रेस क्लब ने सोशल मीडिया और अखबार को बहस के केंद्र में रखा है। आलोक मेहता जी भी वहाँ पहुँचे हैं।
सोशल मीडिया के ज्ञानहीन और समझहीन लोगों (सभी नहीं) की जमात में, जो बित्ताभर का होते हुए भी अपने-आपको तुर्रम खाँ समझते हैं और सभ्य तथा पढ़े-लिखे लोगों के बीच अपनी हरकतों से स्वयं ही अपने को बौना और अधकचरा सिद्ध करने की हास्यास्पद हरकत करते हैं—ऐसे में सोशल मीडिया पर उपस्थित संजीदा लोग और गंभीर पत्रकार हतप्रभ हैं।सोशल मीडिया पर बहस गंभीर होने के बजाय राजनीतिक या फूहड़ हो रही है और उधर पत्रकारिता में व्यक्तिगत प्रहार करने वाले अभियान चल रहे हैं।यह बहुत ही गंभीर संकट है।अख़बार में लिखने के अवसर कम हो गए हैं और स्वतंत्रता की सीमाएँ बाँध दी गईं हैं।हर नेता की अपनी सोशल मीडिया टीम है।उसे अख़बार की ज़रूरत नहीं। अख़बारों को पत्रकारों की ज़रूरत नहीं, उन्हें मैनेजर चाहिए।उधर अख़बारों में वेतन के लाले हैं।ऊपर से सरकार ने मुश्कें कस दी हैं।कुल मिलाकर हैं स्थिति विकट है।
ऐसे कठिन समय में जब पत्रकारिता नष्ट हो रही है तथा पत्रकारिता के शिक्षण संस्थान राम भरोसे चल रहे हैं—राजेन्द्र माथुर जी अत्यंत प्रासंगिक हैं।माथुर साहब, राहुलजी, प्रभाषजी, मदन मोहन जोशी जी और शरद जोशी जी को निरंतर याद करते रहना समकालीन समय की महती आवश्यकता है।
इतना ही नहीं, डॉ. धर्मवीर भारती, कमलेश्वर, रघुवीर सहाय, डॉ. विद्यानिवास मिश्र, अज्ञेय, डॉ. महावीर अधिकारी और मनोहर श्याम जोशी को भी याद करना होगा।
जब तक इन सभी के नामों के दिए नहीं जलेंगे, तब तक हिंदी पत्रकारिता में उजास नहीं लौट पाएगा।
हिंदी पत्रकारिता के अग्रदूत राजेंद्र माथुर जी को हार्दिक श्रद्धांजलि, जिनकी पत्रकारिता सदैव हमारा पथ-प्रदर्शन करती रहेगी।🌹