नई दिल्ली    बीजेपी संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाहर होने के बाद राजनीति का सियासी पारा गर्मा गया है। 2013 से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी की संसदीय बोर्ड के सदस्य थे। और ऐसे में  संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से बाहर होने के बाद इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।दरअसल सीएम शिवराज की जगह संघ के करीबी नेता सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल किया गया है। इसके बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने 2023 के लिए अपनी रणनीति का साफ संकेत दे दिया हैं। भाजपा संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से शिवराज सिंह चौहान को हटाने का फैसला तब आया जब भोपाल के बीजेपी कार्यालय में  2023 को लेकर पार्टी के सभी विधायकों, सभी सांसदों और पार्टी के सभी जिला अध्यक्षों की बैठक राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ले रहे थे। ऐसे में संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाए जाने के सवाल खड़ा हो गया कि मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा किसके चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। 2018 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ा था और चुनाव में भाजपा सीटों के मामले में गई थी और सरकार बदल गई थी। साथ ही इसके एमपी में हुए निकाय चुनाव में भाजपा को 7 नगर निगमों में हार मिली। नगर निगम के चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए लिटमस टेस्ट थे और मुख्यमंत्री एवं पार्टी संगठन ने निकाय चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी। लेकिन 7 नगर निगम भाजपा के हाथ से निकल जाने से पार्टी की विधानसभा चुनाव की तैयारियों को काफी झटका लगा। वहीं इस बड़े फेरबदल के बाद सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरा बदलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जिसके बाद प्रदेश में कई बड़े नामों की चर्चा शुरू हो गई हैं। इसमे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय और सुमेर सिंह सोलंकी के नाम सबसे आगे चल रहें हैं। इसे लेकर एमपी कांग्रेस के मीडिया अध्यक्ष के के मिश्रा ने बताया कि बीजेपी की केंद्रीय पार्टी इकाई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राज्य के भविष्य के विकास के बारे में संकेत दिया है। बीजेपी में तीव्र गुटबाजी के कारण, ऐसा लगता है कि बीजेपी के कुछ सदस्यों ने खराब स्थिति और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को पीएम मोदी के पास ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप यह विकास हुआ है। हाल ही में छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने मिशन 2023 को लेकर एक सप्ताह के अंदर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को बदल चुकी है। ऐसे में सवाल है कि शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से बाहर कर मध्यप्रदेश में भाजपा ने 2023 विधानसभा से पहले बड़े बदलाव के संकेत दे दिए है।