जिनेवा । यूक्रेन में शांति बहाली को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए एक प्रस्ताव की वोटिंग प्रक्रिया के दौरान भारत शामिल नहीं हुआ। भारत ने सवाल किया कि क्या यूक्रेनी संघर्ष के एक साल बाद रूस और यूक्रेन दोनों के लिए दुनिया संभावित समाधान के पास कहीं भी थी? भारत के साथ 32 देश वोटिंग प्रक्रिया के दौरान अनुपस्थित रहे, जिसमें चीन भी शामिल है। 193 सदस्यीय महासभा में प्रस्ताव के पक्ष में 141 और विरोध में सात मत पड़े। प्रस्ताव का शीर्षक यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति था। यूक्रेन पर इस आपातकालीन विशेष सत्र में महासभा पिछले एक साल में छह बार मिल चुकी है। रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण किया। आज इस युद्ध के एक साल पूरे हो गए। इस एक साल के दौरान संयुक्त राष्ट्र की महासभा, सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन पर रूसी हमले की कई बार निंदा की गई और यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि जैसा कि महासभा यूक्रेनी संघर्ष के एक वर्ष को चिन्हित करती है, यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से कुछ प्रासंगिक प्रश्न पूछें। क्या हम दोनों पक्षों को स्वीकार्य संभावित समाधान के करीब हैं? क्या कोई भी प्रक्रिया, जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जा सकती है? क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और विशेष रूप से इसका प्रमुख अंग, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, 1945 के विश्व निर्माण के आधार पर वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अप्रभावी नहीं हो गया है? 
रुचिरा कंबोज ने जोर देकर कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति पर चिंतित है। संघर्ष के परिणामस्वरूप कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और लाखों लोग बेघर हो गए, जिन्हें पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले की खबरें भी बहुत चिंताजनक हैं। भारत यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से दूर रहा है और लगातार संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करता रहा है।
भारत ने यह भी आग्रह किया है कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी के लिए सभी प्रयास किए जाएं। कंबोज ने कहा कि भारत ने लगातार इस बातचीत की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बयान यह युद्ध का युग नहीं हो सकता है को रेखांकित करते हुए कहा कि शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है। इसके बजाय बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी आगे का रास्ता है।