अजमेर कंज्यूमर कोर्ट ने एक्टर अजय देवगन की फिल्म 'दे दे प्यार दे' फिल्म के पोस्टर पर दायर केस पर सोमवार को फैसला सुनाया। फिल्म के पोस्टर में दिखाए गए स्टंट सीन को फिल्म में नहीं दिखाया गया। इस पर अजमेर के तरुण अग्रवाल ने 2019 में एक परिवाद दायर किया। आखिर कोर्ट ने फिल्म में स्टंट नहीं दिखाने का जिम्मेदार अजय देवगन को नहीं माना। साथ ही परिवाद से नाम हटाने के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार, अजमेर निवासी परिवादी तरुण अग्रवाल ने वर्ष 2019 में उपभोक्ता आयोग में इस आशय का एक परिवाद प्रस्तुत किया। उसमें कहा गया कि वह लव प्रोडक्शन निर्मित मूवी 'दे दे प्यार दे' के पोस्टर में बताए गए स्टंट सीन को देखकर फिल्म देखने गया, लेकिन फिल्म के पोस्टर में बताया गया सीन नहीं था। 

परिवादी के नोटिस मिलने के बाद फिल्म अभिनेता अजय देवगन ने वकील अमित गांधी और प्रांजुल चौपड़ा के जरिए उपभोक्ता आयोग में एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर उसे परिवाद में से हटाने की प्रार्थना की। अभिनेता अजय देवगन की ओर से तर्क दिया गया कि उसने 'दे दे प्यार दे' फिल्म में केवल मात्र अभिनय किया है। फिल्म के प्रचार प्रसार के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। आयोग ने निर्णय में लिखा कि अभिनेता अजय देवगन का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाकर उसे परिवाद में से पक्षकार के बतौर हटाए जाने के आदेश दिए जाते हैं। आयोग ने 14 दिन के भीतर परिवादी को संशोधित परिवाद शीर्षक प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए।