एजवेल फाउंडेशन - बुजुर्गों के अनुकूल हों बजटीय प्रावधान..
भोपाल | बुजुर्गों और युवा वर्ग के बीच लगातार बढ़ते पीढ़ीगत अंतराल, वृद्धावस्था में अपेक्षाकृत लंबे जीवन के कारण बुजुर्गों की बढ़ती जरूरतों और वृद्धावस्था में दूसरों पर निरंतर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए बुजुर्गों के अनुकूल बजटीय प्रावधान समय की जरूरत बन गए हैं। आज, बड़ी संख्या में रिटायर्ड बुजुर्ग स्वस्थ और सक्रिय हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद भी रोजगार अवसरों की तलाश है। दूसरी ओर आश्रित बुजुर्गों की आबादी भी तेजी से बढती जा़ रही है, जिन्हें स्वास्थ्य देखरेख सेवाओं और सहारे की जरूरत है।
एजवेल के वालन्टियरों द्वारा देश भर में 5000 बुजुर्गों से जमा किए गए नवीनतम आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, 51 प्रतिशत बुजुर्गों का मानना है कि सरकार को ऐसी योजनाओं और कार्यक्रमों पर खास ध्यान देना चाहिए, जिनमें सेवानिवृत्त बुजुर्गों को शामिल किया जा सके और उनमें उनके ज्ञान व अनुभव का इस्तेमाल किया जा सके। 45 प्रतिशत बुजुर्ग उत्तरदाताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को वंचित और अलग-थलग पड़ चुके बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल और ससर्थन प्रणाली को प्राथमिकता देनी चाहिए। एजवेल फाउंडेशन द्वारा जनवरी 2023 के पहले सप्ताह के दौरान यह सर्वेक्षण किया गया था।
सर्वेक्षण के दौरान, बुजुर्ग उत्तरदाताओं ने बुजुर्गों के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रशिक्षण, देश भर में फैले पर्यटन/तीर्थ स्थलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बुजुर्ग एवं विकलांगों के अनुकूल बुनियादी ढांचे के विकास, वृद्धावस्था पेंशन में वृद्धि, बुजुर्गों के देखभाल के लिए सहायकों का प्रावधान और वृद्धावस्था में बढ़ती घर पर स्वास्थ्य देखभाल सेवा आदि जैसे मसलों को भी उठाया।
इस अवसर पर, एजवेल फाउंडेशन ने वित्त मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों से अगले बजट को अंतिम रूप देते समय निम्नलिखित सिफारिशों/सुझावों पर विचार करने की अपील की-
सामाजिक पेंशन योजनाएं
o सामाजिक पेंशन योजना के तहत वृद्धावस्था पेंशन को मंहगाई दर के अनुसार संशोधित किया जाना चाहिए। मासिक वृद्धावस्था पेंशन में केंद्र सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी प्रति पात्र वृद्ध व्यक्ति 3000 रुपये तक बढ़ाई जानी चाहिए। राज्य सरकार को भी सलाह दी जानी चाहिए कि वह अपनी हिस्सेदारी संशोधित करे।
o वृद्धावस्था पेंशन/विधवा पेंशन/विकलांगता पेंशन योजनाओं की प्रत्येक 2-3 वर्षों में समीक्षा की जानी चाहिए।
वित्तीय सुरक्षा के उपाय
o बुजुर्गों के लिए बैंक/डाकघर/अन्य जमा/निवेश योजनाओं पर ब्याज दर में वृद्धि
o बुजुर्गों के लिए आयकर में विशेष अतिरिक्त राहत
बुजुर्गों द्वारा अक्सर उपयोग की जाने वाली सेवाओं और उत्पादों पर जीएसटी में छूट, जैसे-
o अडल्ट डायपर (सामान्य गुणवत्ता वाले)
o दवाएं, मुख्य रूप से वृद्धावस्था के लिए
o स्वास्थ्य देखभाल उपकरण जैसे व्हीलचेयर, वॉकर, और विकलांगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य
उपकरण
o बुजुर्ग रोगियों (70+) के अस्पताल के खर्चे
o बुजुर्गों हेतु मेडिक्लेम पालिसी
o चिकित्सा परामर्श शुल्क
सेवानिवृत्त व्यक्तियों के लिए कौशल प्रशिक्षण और रिटूलिंग
o सेवानिवृत्त लोगों को कौशल प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकी ज्ञान प्रदान करके उन्हें वृद्धावस्था में आयोपार्जन अवसर पाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए
सेवानिवृत्त और वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना
o ऐसे बुजुर्गों की क्षमताओं का दोहन करने के लिए, जिनके पास अनुभव, ज्ञान, संसाधन, समय हैं और जो वृद्धावस्था में स्वयं को व्यस्त रखते हुए देश व समाज की मुख्यधारा से जुड़े रहने के लिए काम करने के इच्छुक हैं।
सरकारी योजनाओं में बुजुर्गों के लिए विशेष प्रावधान
o सभी सरकारी योजनाओं/कार्यक्रमों में बुजुर्गों की जरूरतों और अधिकारों के लिए विशेष प्रावधानों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
o सरकारी योजनाओं/कार्यक्रमों के विकास/कार्यान्वयन/पर्यवेक्षण/निगरानी/मूल्यांकन की विभिन्न प्रक्रियाओं में बुजुर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
समर्पित स्वास्थ्य देखभाल और ऑनलाइन परामर्श सेवाएं
o बुजुर्गों के लिए रियायती दरों पर आजीवन मेडिक्लेम सेवा
o स्थानीय स्तर पर देश भर में बुजुर्गों के लिए समर्पित स्वास्थ्य सुविधाएं स्थापित की जानी चाहिए और सभी बुजुर्गों के लिए द्वार पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए (बुजुर्ग रोगियों/बिस्तर पर पड़े बुजुर्गों, चलने/फिरने में असमर्थ, गंभीर स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए)।
o बुजुर्गों की मनोवैज्ञानिक/चिकित्सा संबंधी/वित्तीय/कानूनी समस्याओं के लिए ऑनलाइन परामर्श
बीपीएल परिवारों के बुजुर्गों को न्यूट्री किट मुहैया कराने का प्रावधान
o गरीब परिवारों के कमजोर बुजुर्गों को मासिक आधार पौष्टिक खाद्य पदार्थ दिलाने के लिए
सर्वेक्षण के निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए एजवेल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हिमांशु रथ ने कहा, ‘‘वृद्धावस्था में सीमित या घटती आय/बचत के कारण सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना अधिकांश बुजुर्गों के लिए मुश्किल हो गया है। आज पहले की तुलना में बुजुर्ग लंबा जीवन जी रहे हैं। इसलिए अधिकांश बुजुर्गों को अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। वृद्धावस्था में बढ़ती अनिश्चितताओं के कारण बुजुर्गों को बहुत परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। बुजुर्गों के अनुकूल बजटीय प्रावधानों से सरकार बुजुर्गों के जीवन को कुछ हद तक आसान और आरामदायक बना सकती है। वास्तव में, बुजुर्गों को जहां एक ओर सक्रिय रहने, मुख्यधारा में भागीदारी के लिए उचित अवसरों की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर, उम्रदराज बुजुर्गों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल व समर्थन प्रणाली की भी जरूरत है।‘‘