40 साल बाद भोपाल को ज़हर से मिलेगी मुक्ति •पंकज पाठक•

ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया
यूनियन कार्बाइड का ज़हरीला हज़ार रसायन भोपाल से हटाना शुरू
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में नष्ट किया जाएगा यह अपशिष्ट
ग्रीम कॉरिडोर बनाया, यहाँ से होगा परिवहन
भोपाल । दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित औद्योगिक गैस रिसन दुर्घटना के शेष बचे ख़तरनाक अपशिष्ट रसायन से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को पूरी तरह से मुक्त करने के लिए ऑपरेशन प्रारंभ हो चुका है और संभावना है कि कल तक यह सम्पूर्ण रासायनिक पदार्थ इंदौर के पास धार ज़िले में स्थित पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में नष्ट किया जाएगा । इस प्रकार भोपाल को 40 साल बाद इस ज़हर से छुटकारा मिलेगा । अभी तक यह रसायन अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी तत्कालीन यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन लिमिटेड के भोपाल स्थित कीटनाशक संयंत्र में ज़मीन के भीतर रखा था । संयंत्र का नाम था—यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र । यहाँ सेविन नामक कीटनाशक पदार्थ बनाने के लिए 1969 में भोपाल में संयंत्र की स्थापना की गई थी ।
1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात को इस संयंत्र से, रखरखाव के अभाव एवं लापरवाही के कारण अत्यंत ज़हरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस (एमआईसी गैस या मिक गैस) रिसने से भोपाल के 5000 लोगों की मौत हो गई थी और पाँच लाख लोग बीमार पड़ गए थे । कारख़ाने को तत्काल बंद कर दिया गया था और बाद में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के तहत कंपनी ने मृतकों के परिवारों एवं बीमारों को अंतरिम राहत एवं मुआवज़े का वितरण कर दिया ।
इसी बीच कंपनी को अमेरिका की एक अन्य कंपनी डाव कैमिकल्स ने ख़रीद लिया । सरकार की अनदेखी और रासायनिक कचरे के निष्पादन का स्थान बार-बार बदलने के कारण निष्पादन का कार्य हो नहीं पा रहा था और यह ख़तरनाक कचरा भोपाल में ही कारख़ाने के भीतर भूमिगत पड़ा था ।
अब केन्द्र सरकार की ओवर साइट कमेटी के निर्देशों एवं सुपरविजन के अनुसार यूनियन कार्बाइड के शेष बचे 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट के विनष्टीकरण की कार्यवाही की जा रही है। अपशिष्ट की पैकिंग, लोडिंग और परिवहन सीपीसीबी द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार और सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के साथ विशेष 12 कंटेनरों से किया जायेगा। कंटेनर्स के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड तथा क्विक रिस्पाँस टीम रहेगी। यह कंटेनर लीक प्रूफ एवं फायर रेजिस्टेंट हैं। प्रति कंटेनर 2 प्रशिक्षित ड्राइवर नियुक्त किये गये हैं। इन कंटेनरों का मूवमेंट जीपीएस द्वारा मॉनिटर किया जायेगा।
भोपाल से पीथमपुर तक ग्रीन कॉरिडोर
भोपाल से पीथमपुर तक ग्रीन कॉरिडोर बताया जा रहा है । मध्यप्रदेश में औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले रासायनिक तथा अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिये धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है, जहां पर भस्मीकरण से अपशिष्ट पदार्थों का विनष्टीकरण किया जाता है। यह प्लांट प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित उद्योगों द्वारा जनित खतरनाक एवं रासायनिक अपशिष्ट के सुरक्षित निष्पादन के लिये स्थापित किया गया है। यह प्लांट सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशानुसार संचालित है। सीपीसीबी की मॉनिटरिंग में सभी निर्धारित पैरामीटर अनुसार सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए 10 मीट्रिक टन अपशिष्ट विनिष्टिकरण का ट्रॉयल रन-2015 में किया गया। शेष बचे 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का निष्पादन सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों के अनुक्रम में तथा उच्च न्यायालय द्वारा गठित ओवर साइट कमेटी/टास्क फोर्स कमेटी के निर्णय 19 जून 2023 के अनुक्रम में किया जा रहा है।
निष्पादन से बुरा असर नहीं होने की संभावना
अपशिष्ट विनिष्टिकरण के ट्रायल रन के दौरान तथा बाद में उत्सर्जन मानक, निर्धारित राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाये गये। परिणामों के आधार पर वर्णित किया गया है कि यूसीआईएल. कचरे के निष्पादन पश्चात किसी तरह के हानिकारक तत्व पानी अथवा वायु में नहीं पाये गये तथा इनसीनेरेशन (भस्मीकरण) के पश्चात शेष बचे रेसीड्यूज़ का निष्पादन टीएसडीएफ (ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्पोजल फेसेलिटी) में लैण्ड फिल के माध्यम से डबल कम्पोजिट लाइनर सिस्टम से किया गया। इसका किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर नहीं पाया गयाके शोध वैज्ञानिकों तथा विभाग के संबंधित चिकित्सकों की टीप गठित कर संबंधित 12 गांवों में ‘स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ कराया गया। जांच के बाद प्रस्तुत रिपोर्ट अनुसार उक्त गांव में चर्म रोग (1.77) एवं श्वसन रोग यूआरटीआई 1.14 प्रतिशत भारत सरकार का राष्ट्रीय डेटा चर्मरोग 7.9-60 प्रतिशत एवं श्वसन रोग 40-50 प्रतिशत से कम है।
पानी में ख़राबी नहीं होने का दावा
मप्र के संचालक गैस राहत और पुनर्वास स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि क्षेत्रीय निदेशक (मध्य), केन्द्रीय प्रदूषण निवारण बोर्ड, भोपाल द्वारा मेसर्स पीथमपुर इंडस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के आस-पास के 5 जल नमूने जांच हेतु लिये गये, जिसके नमूनों की विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर 25 दिसम्बर 2024 को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार लैण्डफिल के समीप जल नमूनों में कुछ प्रचालक जैसे रंग, क्लोराइड, हार्डनेस, सल्फेट, फ्लोराईड, टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड, पीने के पानी के मानक आईएस 10500 की परमीसिबिल लिमिट से अधिक पाये गये। उक्त पैरामीटर्स सामान्यतः भू-जल की गुणवत्ता प्रदर्शित करते हैं एवं ये प्रचालक टीएसडीएफ से संबंधित प्रतीत नहीं होते हैं। उक्त नमूनों में भारी धातु नगण्य पाये गये।
(जनसंदेश टाइम्स. लखनऊ से साभार)