भाजपा और कांग्रेस ने जैसे-तैसे अपनी-अपनी सीटें बचाईं •पंकज पाठक•
ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया
बुधनी में कम जीत का अंतर भाजपा के लिए चिंतनीय
रावत मंत्री होकर भी हार गए, दिया इस्तीफ़ा
भोपाल । मध्य प्रदेश के बुधनी और विजयपुर विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी सीटों पर अपना क़ब्ज़ा बरकरार रखा है । राजधानी भोपाल के निकट सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने भी सीट अपने पास ही रखी है । बुधनी से भाजपा उम्मीदवार पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव ने कांग्रेस के पूर्व उप-मंत्री राजकुमार पटेल को 13000 मतों से हरा दिया । केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद चुने जाने के बाद उनके द्वारा विधायक पद से इस्तीफ़ा देने के कारण यह उपचुनाव हुआ था । चौहान बुधनी से भाजपा के विधायक थे । उधर मध्य प्रदेश के उत्तर में चम्बल क्षेत्र के श्योपुर ज़िले के विजयपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत को 7428 मतों से पराजित कर दिया ।
बुधनी में जीत का अंतर बेहद कम
बुधनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के रमाकांत भार्गव का मार्जिन इसलिए घटा है, क्योंकि लोग यहाँ या तो शिवराज या फिर उनके पुत्र कार्तिकेय को चाहते थे। पर टिकट भार्गव को मिल गई । वे अपनों में ही बेगाने हो गए । पूरे चुनाव अभियान के दौरान भार्गव की अनावश्यक ही किरकिरी हो रही है । हालाँकि शिवराज ने भार्गव को काफ़ी सोच-समझकर मैदान में उतारा था। वे जानते थे कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनके पुत्र कार्तिकेय को प्रत्याशी नहीं बनाएगा । इसलिए उन्होंने भार्गव का नाम आगे किया था । भार्गव ने स्वयं टिकट की माँग नहीं की थी । अपने कट्टर समर्थक होने के कारण ही उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा से एक बार भार्गव को ही पार्टी का टिकट दिलवाया था । पिछले विधानसभा चुनावों में शिवराज बुधनी से एक लाख से अधिक वोटों से जीते थे हो और आज वहाँ पर भाजपा के भार्गव को कम जीत के अंतर पर संतोष करना पड़ा है।
विजयपुर में कांग्रेस की रणनीति सफल
विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत छह बार के वरिष्ठ विधायक हैं और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं । 2023 के विधानसभा चुनाव में वे विजयपुर से 18, हज़ार मतों से विजयी हुए थे । लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने से नाराज़ होकर वे 30 अप्रेल 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए । 8 जुलाई 2024 को उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर केबिनेट मंत्री की शपथ दिलायी गई । 10 जुलाई 2024 को उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया । लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे भाजपा के विद्रोही, निर्दलीय प्रत्याशी मुकेश मलहोत्रा, जिन्होंने 44,000 से अधिक वोट प्राप्त किए थे, उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया । आदिवासी मतदाताओं की नाराजी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा विजयपुर में रावत के पक्ष में प्रचार नहीं करने के कारण रावत पराजित हो गए । इस प्रकार कांग्रेस ने अपना परंपरागत गढ़ बचा लिया । इस चुनाव की ज़िम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को सौंपी गई थी, जो मुरैना लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद भी रहे हैं और विजयपुर इसी लोकसभा क्षेत्र का एक विधानसभा क्षेत्र है । विजयपुर का यह उपचुनाव मुख्यमंत्री यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था, जो इसमें सफल नहीं हुए। निश्चय ही क्षेत्र के आदिवासी नेतागण—बाबूलाल मेवाड़े और सीताराम आदिवासी को साधने की रणनीति कमजोर रही है । हालाँकि सीताराम को सरकार में पद से नवाज़ा गया और बाबूलाल को पद देने का वादा भी किया गया था । बावजूद इसके कि भाजपा के दिग्गज रावत को न जिता पाए और न ही रावत अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दे पाए । वह चाहते तो विधायक बने रहते और यदि इस्तीफ़ा नही देते, तो कांग्रेस के लिए दिक्कतें पैदा कर सकते थे । यही नहीं, भाजपा के साथ दोस्ती भी रख सकते थे । जैसा संजय पाठक और नारायण त्रिपाठी ने किया था । पर उन्हें जीत का भरोसा था । मतदाताओं ने भी बता दिया कि यह सीट कांग्रेस की है, रावत की नहीं ! अब रावत नियमानुसार छह महीने तक मंत्रिमंडल के सदस्य रह सकते हैं, याने 7 जनवरी 2025 तक। पर उन्होंने आज ही इस्तीफ़ा दे दिया है ।
(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ से साभार)