मुख्यमंत्री यादव का कांग्रेस पर हमला

प्रधानमंत्री मोदी की आज खजुराहो में सभा

भोपाल । भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में बाबा साहब अंबेडकर के मामले को कांग्रेस के ख़िलाफ़ मुद्दा बना लिया है । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बाबासाहब पर टिप्पणी के बाद हुए विवाद और उससे उपजी परिस्थितियों को लेकर उसने प्रदेश में कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है । इसी क्रम में भाजपा कुछ राजनीतिक कार्यक्रम भी शुरू कर सकती है । कल 25 दिसंबर 2024, बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुराहो आ रहे हैं, जहाँ पर वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर केन-बेतवा रिवर इंटर लिंक प्रोजेक्ट का भूमिपूजन करेंगे । रिवर लिंक का यह देश का पहला प्रोजेक्ट है ।

इस बात की पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री कल खजुराहो के मंच से भी अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के ऊपर बड़ा हमला कर सकते हैं । क्योंकि कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी पार्टियाँ संसद में अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी को लेकर उन्हें लगातार निशाने पर ले रहीं हैं । ऐसे में भारतीय जनता पार्टी और राज्य में उसकी सरकारें सुरक्षात्मक हो गईं हैं और कांग्रेस के अतीत को टटोल रही हैं कि उसने अंबेडकर के साथ अब तक क्या किया और क्या नहीं किया ?

इसी कड़ी में आज शाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर मध्य प्रदेश में अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी । उन्होंने अत्यंत साधे हुए स्वरों में, लेकिन आक्रामकता और दृढ़ता के साथ कहा कि कांग्रेस का इतिहास आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद अंबेडकर के विरोध से भरा हुआ है । अब बाबा साहब के नाम पर वह जिस प्रकार का प्रमाद और प्रलाप कर रही है, उसे देश की जनता अच्छी तरह से समझ रही है । मैं कांग्रेस से अपील करता हूँ कि वह विष-वमन करने के बजाए समूचे घटनाक्रम पर माफ़ी माँगे और पटाक्षेप करें ।

उन्होंने कहा कि मैं सिलसिलेवार यह बताना चाहता हूँ की मध्य प्रदेश के महू में जन्में बाबा साहब की गतिविधि के केंद्र में इंग्लैंड, नागपुर और मुंबई भी थे । अत: हम पंचतीर्थ स्मारक का निर्माण कर रहे हैं । कांग्रेस बताए कि उसने बाबा साहब के लिए क्या किया ? अटल जी की सरकार में किसे भारत रत्न से नवाज़ा गया ?

सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, बाबा साहब अम्बेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और प्रणब मुखर्जी को किसने भारत रत्न से सम्मानित किया ? पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में बाबा साहब को क़ानून मंत्री अवश्य बनाया, लेकिन उन पर बहुत दबाव भी था, ताकि वे ठीक से काम नहीं कर सकें । उन्होंने कहा था कि वे उद्योग और वित् विभाग भी संभाल सकते हैं, लेकिन उन्हें पंडित नेहरू ने ये विभाग नहीं दिए । अंततोगत्वा उनकी यह स्थिति कर दी गई कि उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा । धारा 370, देश के विभाजन और समान नागरिक संहिता पर बाबा साहब के विचारों से कांग्रेस सहमत नहीं थी । हिंदू कोड बिल, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को लेकर भी बाबा साहेब के विचारों को कांग्रेस ने नापसंद किया ।

डॉ. यादव ने सवाल किया कि इतना कुछ होने के बाद भी कांग्रेस किस मुँह से बाबासाहेब का नाम ले रहीं है । कांग्रेस को पाखंड की यह राजनीति बंद कर देनी चाहिए । कांग्रेस भले ही यह जादूगरी करे, लेकिन वह सफल नहीं हो पाएगी ।

(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ से साभार)