भोपाल। जबलपुर (म.प्र.) के मूलनिवासी डॉ. अरिंदम कुशाग्र ने न्यूनतम कीमत में हृदयगति-मापन विधि का आविष्कार किया है। यह विधि बहुत ही आसानी से हृदयगति-मापन कर सकने में समर्थ है और इसे कोई भी लेटा हुआ व्यक्ति, कहीं भी कर सकता है। आवश्यकता है केवल एक चमकदार वस्तु अथवा एक आईने की, जिसे पेट के ऊपर रखकर इस विधि को सरलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है।
डॉ. अरिंदम कुशाग्र AIP Advances नामक अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन में (प्रकाशक: American Institute of Physics) एक शोध-पत्र प्रकाशित किया है, इस विधि को उन्होंने reflectocardiography (RCG) नाम भी दिया है। इस विधि द्वारा दुर्गम स्थानों पर, जहाँ मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पातीं, हृदयघात के मरीजों को भी समय रहते चिन्हित किया जा सकेगा एवं यह विधि चिकित्सकों तथा चिकित्सा-क्षेत्र से जुड़े शोधकर्ताओं के लिए बेहद रुचिकर साबित होगी।
डॉ. अरिंदम कुशाग्र ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद बायोटेक्नोलॉजी में बी.टेक. एवं एम.टेक. की पढ़ाई करने के लिए आई.आई.टी. खड़गपुर चले गए। वहीं से उनका रूझान नवीन शोध-कार्यों की ओर बन गया। तत्पश्चात् उन्होंने पी.एच.डी. एवं पोस्टडॉक की अवधि आई.आई.टी. मुंबई एवं आई.आई.टी. दिल्ली में पूरी की। अभी वे अमिटी विश्वविद्यालय कोलकाता में नैनोटेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं। वे लगातार नवीन शोध-कार्यों में संलिप्त रहे हैं और काफ़ी अंतर्राष्ट्रीय शोध-पत्र एवं पेटेंट्स प्रकाशित करते रहे हैं। पूर्व में डॉ. कुशाग्र केवल सरसों के तेल का उपयोग करते हुए pH-मापन प्रणाली का आविष्कार किया है एवं तेल-पानी की सम्मिलित सतह का उपयोग करते हुए DC वोल्टेज लगाकर alternating current बनाने का भी आविष्कार किया है।