नई दिल्ली/भोपाल। मप्र में सत्ता का संग्राम दिन पर दिन तेज होता जा रहा है। इस बार मप्र में भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटें की टक्कर होने की संभावना है। इस बीच सोशल मीडिया पर पिछले 5 माह में मप्र विधानसभा चुनाव को लेकर 6 अलग-अलग सर्वे के आंकड़े छाए हुए हैं। जिसमें प्रदेश में भाजपा की हार बताई गई है। वहीं भाजपा-संघ के सर्वे पर कांग्रेस ने चुनावी रणनीति तैयार की है। जिसके दम पर दावा किया गया है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बना रही है। 55 सीटों से भी कम पर सिमट भाजपा रही  है। हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर लिखा है कि मप्र में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले कई सर्वे सामने आए हैं, जिनमें प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है। साथ ही भाजपा 55 सीटों से भी कम पर सिमट रही है। कांग्रेस के पास 2018 के अपने 15 महीनों का कार्यकाल और कमलनाथ जैसे निर्विवाद और अनुभवी नेता का साथ है। इसे लेकर वह जनता के बीच पहुंच रही है।

 भारत जोड़ो यात्रा का
मप्र के कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रदेश में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत के बाद प्रदेश के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। कार्यकर्ता पहले से ज्यादा उत्साह में हैं। विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ वक्त बचा है। ऐसे में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस दोनों चुनावी तैयारियों में जुटी हुई नजर आ रही हैं। इसी बीच कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए बड़ा दावा किया है। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि आरएसएस के सर्वे से भाजपा में हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में वापसी कर रही है। जबकि पार्टी और आरएसएस के विभिन्न सर्वे में पार्टी को 60 से भी कम सीटें मिलती हुई दिखाई दे रही हैं।

अधूरी घोषणाओं से बढ़ी एंटी इनकम्बेंसी
दरअसल, मप्र में भाजपा पर 18 वर्षों की देनदारियां और सरकार की कई ऐसी अधूरी घोषणाएं हैं, जो गंभीर सत्ता विरोधी लहर का रूप ले चुकी है। पिछले 5 महीनों में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर छह अलग-अलग सर्वे सामने आए हैं। सभी सर्वे में भाजपा की सीटें लगातार घटती जा रही हैं। इतना ही नहीं, भाजपा के सर्वे में भी पार्टी बुरी तरह से हारती हुई दिख रही है। ये सर्वे आने के बाद से मप्र भाजपा में खलबली मची है और ये सुझाव भी मिला है कि 60 फीसदी भाजपा विधायकों के टिकट काटे जाएं।

कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के जीत के दावे के कई कारण है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने वाली कांग्रेस अब पूरे जोश से मैदान में है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि 2018 के चुनाव से पहले मई में प्रदेश अध्यक्ष बना था, नवंबर में चुनाव थे। मध्यप्रदेश में काफी लोग मुझे पहचानते नहीं थे, मेरी कार्यशैली से वाकिफ नहीं थे, परंतु आज ऐसा नहीं है। मध्यप्रदेश का हर वर्ग कमलनाथ को और कमलनाथ की कार्यशैली को जानता और पहचानता है।
प्रदेश के कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रदेश में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत के बाद प्रदेश के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। कार्यकर्ता पहले से ज्यादा उत्साह में हैं। हिमाचल और कर्नाटक चुनाव के बाद पार्टी ये समझ रही है कि राज्यों के चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाते हुए दिख रही है। चाहे वह भ्रष्टाचार का मामला हो या कर्मचारियों की मांगों का सभी को प्रमुखता के साथ उठाया जा रहा है।