मध्य प्रदेश में विरासत से विकास का नया फंडा •पंकज पाठक•

श्रीराम तिवारी मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार नियुक्त
मप्र में पहली बार इस पद पर नियुक्ति
भोपाल । मध्यप्रदेश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने संस्कृति सलाहकार की नियुक्ति की है । विरासत से विकास का सूत्रपात करने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहली बार अपनी सरकार में संस्कृति सलाहकार के पद पर नियुक्ति करते हुए पूर्व संस्कृति संचालक और मध्य प्रदेश महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी को इस पद की ज़िम्मेदारी सौंपी है । तत्संबंधी आदेश कल रात को राज्य शासन ने जारी कर दिए हैं । उन्हें शोधपीठ के निदेशक के साथ-साथ संस्कृति सलाहकार का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है ।
इस घटनाक्रम के बाद, भारत भवन की सांस्कृतिक क्रांति के शहर राजधानी भोपाल ही नहीं, समूचे प्रदेश में अब सांस्कृतिक पुनरुत्थान के नए युग का शुभारंभ होगा । रवींद्र समागम केंद्र स्थित स्वराज भवन संचालनालय में आज शाम— जनसंदेश टाइम्स—से चर्चा करते हुए श्रीराम तिवारी ने कहा कि वे राज्य मंत्रालय अथवा मुख्यमंत्री निवास के बजाए इसी संचालनालय स्थित शोधपीठ के कार्यालय से ही संस्कृति सलाहकार का कार्य भी करेंगे ।
श्रीराम तिवारी ने कहा कि वे संस्कृति को व्यापक परिप्रेक्ष्य में ग्राहण करते हैं । किसी भी राज्य या देश के विकास को उसकी सांस्कृतिक दृष्टि के घनत्व से आँका जा सकता है । यदि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को लेकर विकास की यात्रा करेंगे, तो लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं । शिक्षा का प्रसार, रोज़गार का सृजन, नदियों का संरक्षण, स्वच्छता को उच्च प्राथमिकता तथा व्यापार और वाणिज्य में अग्रगण्यता भी हमारी सांस्कृतिक दृष्टि से ही परिचालित होता है । हम संस्कृति को सिर्फ़ प्रदर्शनकारी कलाओं से ही जोड़कर नहीं देख सकते ।
तिवारी ने कहा कि हर मुख्यमंत्री की एक शैली होती है और डॉ. यादव ने विरासत से विकास का बीड़ा उठा लिया है । महाकाल लोक के निर्माण के बाद उज्जैन के विकास में जो चार चाँद लगे हैं, इसके बाद वे इस दृष्टि को लेकर पूरे मध्यप्रदेश में अलख जगाने के लिए निकल पड़े हैं । वे हमारी विरासत के प्रति गंभीर भी हैं । वैदिक धड़ी का निर्माण इसी दिशा में एक क़दम है । उनका संकल्प है कि विक्रम संवत् को राष्ट्रीय संवत बनाया जाए ।
आपने बताया कि वर्ष 2028 में सिंहस्थ के कार्य, सांदीपनि आश्रम को महागुरुकुल का रूप देना, कृष्ण पाथेय, राम वनगमन पथ, वीर भारत संग्रहालय और 84 महादेव के मंदिरों का जीर्णोद्धार हमारी प्राथमिकताओं में रहेंगे । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा की जो बात कही गई है, हम मध्य प्रदेश को उसकी कर्मभूमि बनाना चाहते हैं । इस बार उज्जैन में विक्रमोत्सव 40 दिन का नहीं, बल्कि 130 दिनों का होगा । यह दुनिया का पहला समारोह होगा, जो इतने लंबे समय तक चलेगा ।
उन्होंने कहा कि भोपाल में एक समय सात नादियाँ थीं । इसी प्रकार मध्य प्रदेश में 212 नदियाँ हुआ करती थीं । लेकिन आज कितनी बची हैं ? यदि हमने अपनी संस्कृति का संरक्षण किया होता, तो ये सब बच सकती थीं । इसलिए हम संस्कृति का सृजन लेकर चल रहे हैं, विसर्जन लेकर नहीं ।
100 से अधिक पुस्तकों का सम्पादन किया श्रीराम तिवारी ने
मध्यप्रदेश शासन ने वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव और महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संस्कृति सलाहकार बनाया है। सामान्य प्रशासन विभाग के कार्मिक सचिव के नाम से जारी आदेश के अनुसार श्रीराम तिवारी, न्यासी सचिव, वीर भारत न्यास तथा निदेशक, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ को वर्तमान कार्य के साथ-साथ मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार का प्रभार अतिरिक्त रूप से सौंपा गया है।
कवि, आलोचक और मीडिया विशेषज्ञ श्रीराम तिवारी साहित्य, कला, सिनेमा और भारतीय मूल्यों, आदिवासी संस्कृति और तत्संबंधी गऐतिहासिक साहित्य को बढ़ावा देने से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में अपनी विविध रुचियों के लिए जाने जाते हैं । सांस्कृतिक क्षेत्र में तिवारी ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और कलाओं को पुनर्जीवित करने के लिए अनेक प्रयास किये। उनके द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सेमिनारों ने देश की सांस्कृतिक धरोहर को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तिवारी ने साहित्य, भारतीय प्राच्यविद्या, कला, सिनेमा और स्वराज पर आधारित 100 से अधिक पुस्तकों का संपादन और प्रकाशन किया है। आप कलाकारों व युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने वाले मार्गदर्शक भी हैं।
मध्यप्रदेश शासन में संस्कृति विभाग और आदिमजाति कल्याण विभाग में संचालक, संस्कृति-संचालक स्वराज संस्थान संचालनालय, प्रबंध संचालक वन्या, अध्यक्ष-सह-प्रबंध संचालक उद्यमी विकास संस्थान आदि विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य के अलावा छत्तीसगढ़ सरकार में भी संस्कृति, पुरातत्व व पर्यटन सलाहकार के रूप में कार्य किया है । मध्यप्रदेश में स्वाधीनता संग्राम-स्वराज एवं विभिन्न जनजातीय बोलियों पर केंद्रित करीब 14 सामुदायिक रेडियो केन्द्रों की स्थापना-प्रवर्तन। देश-दुनिया के अनूठे मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय की परिकल्पना और स्थापना की । युगयुगीन भारतवर्ष के कालजयी महानायकों की तेजस्विता के संग्रहालय की स्थापना के लिए वे विशेष रूप से सक्रिय है । भारतीय कालगणना की प्राचीनतम पद्धति पर आधारित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की स्थापना की ।
यूट्यूब चैनल —भारत विक्रम और वीर भारत का प्रवर्तन 25 से अधिक वैश्विक भाषाओं में प्रसारित ।
साहित्य, संस्कृति, सिनेमा, स्वराज, जनजातीय विषयों पर अनेक पुस्तकें, फ़िल्म, टीवी व रेडियो कार्यक्रम। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केंद्रित ग्रंथ--आर्ष भारत, शिप्रा अमरता का आह्वान- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उज्जैन की जल संरचनाओं का विश्लेषण, सदानीरा, शिप्रा अमृतसंभवा प्रकाशित हैं ।
(जनसंदेश टाइम्स. लखनऊ से साभार)