देश में बिजली उत्पादन हाल ही में समाप्त वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 33 साल में सबसे तेज गति से बढ़ा है। इस दौरान कोयले से चलने और नवीकरणीय संयंत्रों दोनों से उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 में बिजली उत्पादन 11.5 फीसदी बढ़कर 1,591.11 अरब किलोवॉट पहुंच गया। यह मार्च, 1990 के बाद 33 साल में सबसे तेज बिजली उत्पादन है। 

इन आंकड़ों के हवाले से रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि गर्मी की तेज लहरें, उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड और आर्थिक गतिविधियों में सुधार की वजह से देश में बिजली की मांग बढ़ गई। इस बीच, बिजली कटौती की समस्या से बचने के लिए भारत को कोयला और जीवाश्म ईंधन से चलने वाले संयंत्रों के जरिये उत्पादन बढ़ाना पड़ा। 

कोयले से उत्पादन चार साल में सर्वाधिक

बीते वित्त वर्ष के दौरान कोयले से चलने वाले संयंत्रों से बिजली उत्पादन 12.4% बढ़कर 1,162.91 अरब किलोवॉट पहुंच गया। कुल बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 73.1 फीसदी पहुंच गई, जो मार्च, 

2019 के बाद चार साल का उच्च स्तर है।

जीवाश्म ईंधन से चलने वाले संयंत्रों में भी उत्पादन 11.2 फीसदी बढ़ गया, जो तीन दशक से ज्यादा समय का उच्च स्तर है।
हालांकि, वैश्विक स्तर पर एलएनजी की कीमतें बढ़ने से स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाले संयंत्रों से बिजली उत्पादन में 28.7% की गिरावट रही।
2022-23 के दौरान देश में 1,509.15 अरब किलोवॉट बिजली की आपूर्ति की गई। यह एक साल पहले की तुलना में 8.4% अधिक है।