लंदन । उत्तर कोरिया पर 2 हजार से ज्यादा पाबंदियां लगी हुई हैं। इसके पहले रूस, ईरान और सीरिया का नंबर आता है। इतनी बंदिशों में जीने के बाद भी उ.कोरिया अपनी सैन्य ताकत दिखाता रहा। यहां तक कि वहां के तानाशाह किम जोंग उन अक्सर पश्चिमी देशों को धमकाते भी रहे। ये ताकत हवा-हवाई नहीं, बल्कि इसके पीछे रूस और चीन जैसे बड़े देशों का हाथ है। साल 2020 में नॉर्थ कोरिया का डेटा जारी किया। इसके मुताबिक देश की जीडीपी लगभग 18 बिलियन डॉलर थी। अपने पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया की तुलना में ये कम है, लेकिन ग्रोथ रेट लगातार दिख रही है। खासकर व्यापार के लिए उसपर जितने प्रतिबंध हैं, यह देखकर ये जीडीपी कम नहीं।  
ये देश खुद को सैन्य तौर पर भी मजबूत कर रहा है। इसमें एक के बाद एक मिसाइल परीक्षण भी शामिल है। बीते साल फरवरी में आई यूएन की रिपोर्ट में नॉर्थ कोरिया की ओर से परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का शक जताया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉर्थ कोरिया मिसाइलों को बनाने, तेजी से उनकी तैनाती, समुद्र के रास्ते उन्हें लाने-ले जाने और मिसाइल ताकत में तेजी से बढ़ोत्तरी करने की दिशा में है। 
यूएन की रिपोर्ट कहती है कि अपने परमाणु कार्यक्रमों और मिसाइलों के लिए पैसे जुटाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर साइबर अटैक कर पैसे की उगाही इस देश के लिए आय का प्रमुख स्रोत है। ये रिपोर्ट यूएनएससी प्रतिबंध कमेटी के सामने इसी हफ्ते पेश की गई। और इसमें नॉर्थ कोरिया के सीक्रेट वीपन प्रोग्राम के बारे में कई दावे किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और वित्तीय संस्थाओं पर साइबर अटैक से पैसे जुटाना नॉर्थ कोरिया के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत है। साइबर अटैक से साल 2020 में और साल 2021 के मध्य तक नॉर्थ कोरियन साइबरअटैकर्स ने नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और एशिया के तीन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से ही 50 मिलियन डॉलर से अधिक की रकम चुरा ली।