मृत्यु के बाद 13 दिन तक क्रियाक्रर्म से जुड़े अंतिम संस्कार होते रहते हैं. जिनके बाद उस आत्मा को अंगूठे के बराबरसूक्ष्म शरीर प्राप्त होता है. यही वह शरीर होता है, जो मानव जीवन में किए गए कर्मों का फल भोगता है. ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक के अनुसार कठोपनिषद्, गरुड़ पुराण, मार्कंडेय पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है. मृत्यु के बाद हर मनुष्य को प्रेत योनी में जाना होता है. लेकिन पुराणों में ऐसे भी पुण्य कर्म बताए गए हैं, जिन्हें करने से व्यक्ति प्रेत बनने से बच सकता है. इन कर्मों को आप पंच ‘ग’ भी कह सकते हैं. आईए जानते हैं कौन से उपाय से प्रेत योनि से बच सकते हैं.

गीता का पाठ श्रीमद्भग्वतगीता स्वयं भगवान श्रीहरि के मुख से कही गई अमृतवाणी है. जो भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में प्रतिदिन गीता का पाठ करता है, उसे मृत्यु के बाद प्रेत नहीं बनना पड़ता है. इसके साथ ही उसकी सद्गति हो जाती है. गंगाजल का हिंदू धर्म एवं वेद-पुराणों बहुत अधिक महत्व बताया गया है. यदि व्यक्ति अपने जीवनकाल में ही प्रतिदिन गंगाजल से स्नान करे और उसका सेवन करते है, तो उसे मृत्यु के बाद प्रेत नहीं बनना पड़ता है.दिन के किसी भी प्रहर में जब भी समय मिले, आप स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद गीता के कुछ श्लोकों, किसी अध्याय या चरित्र का पाठ जरूर करें

इस मंत्र का करें जप
व्यक्ति अपने जीवन काल ने रोजाना सूर्योदय के समय पूजन पाठ करते है. साथ ही गायत्री मंत्र का पाठ करते है. वे व्यक्ति भी मृत्यु के बाद प्रेत योनि से बच सकते है. गायत्री मंत्र बहुत प्रभावशाली एवं शक्ति प्रदाता मंत्र माना जाता है. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि इस मंत्र का जप आप सूर्यास्त के बाद न करें.

पिंड दान जरूर करें
पं पंकज पाठक के अनुसार जो व्यक्ति अपने पूर्वजों का गया में पिंडदान करते है. उस व्यक्ति को अपने पूर्वजों के साथ ही मुक्ति मिल जाती है. फिर वह व्यक्ति भी मृत्यु के बाद प्रेत योनि में नही जाता है. साथ ही बताया गया कि बोध गया एक राक्षस गयासुर की पीठ पर बसा हुआ है. इस स्थान को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है. इसलिए अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए एवं तीर्थ यात्रा के लिए व्यक्ति को जीवन में एक बार गया तीर्थ जरूर जाना चाहिए. इसके साथ अपने पूर्वजों का पिंडदान जरूर करना चाहिए.

गो माता की सेवा सबसे बड़ी
हम सभी जानते है कि गाए के शरीर मे सभी देवी देवता निवास करते है. हमारे धर्म ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है. इसलिए आप जीते जी अपने जीवन में गो माता की सेवा जरूर करें. रोजाना रोटी दें, हरा चारा दें एवं पानी पिलाये. अगर आप ऐसा करते है, तो मृत्यु के बाद आप प्रेत योनि से बच सकते है. साथ ही आपके सारे संकट भी दूर होते है. इसके साथ ही आप इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखे कि हमारे वेद-पुराण एवं धर्मग्रंथों में मुक्ति से संबंधित जो भी बातें बताई गई, वे सभी बातें तभी प्रभावकारी होती होगी. जब हम अपना आचरण सही रखें. कभी किसी का धन न हड़पे. साथ ही किसी निर्दोष व्यक्ति का दिल न दुखाएं.