प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, नौ ग्रहों के लिए नौ प्रमुख रत्न माने गए हैं. ये रत्न संबंधित ग्रह की ऊर्जा को बढ़ाने का कार्य करते हैं. उन्हीं में से एक है पुखराज. पीले रंग के पुखराज रत्न को अंगूठी या ब्रेसलेट में धारण किए आपने कई लोगों को देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुखराज रत्न क्यों पहना जाता है? इसके फायदे क्या हैं और किन लोगों के लिए यह नुकसान दायक है? तो चलिए आपको बताते हैं पुखराज के बारे में विस्तार से.

दरअसल, पुखराज रत्न पीले रंग का एक खास पत्थर होता है, जो श्रीलंका, जापान, ब्राजील, मेक्सिको, जैसे देशों में पाया जाता है. खदानों से निकलकर दुनियाभर में सप्लाई होता है. असली पुखराज की कीमत 2000 रुपए से शुरू होती है. साइज और शेप के अनुसार इसकी कीमत बढ़कर लाखों तक पहुंच जाती है.

किस ग्रह से संबंधित है पुखराज
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पुखराज गुरु (ब्रहस्पति) ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. जातक की कुंडली में गुरु अच्छा फल देने के लिए बाध्य है, लेकिन ऊर्जा कम मिल रही है तो उसे पुखराज धारण करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि पहले किसी विद्वान ज्योतिषी को कुंडली दिखाएं, सुझाव के बाद ही रत्न धारण करें, अन्यता इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

पुखराज पहनने के फायदें
10 साल का अनुभव रखने वाले मध्य प्रदेश के खरगोन निवासी ज्योतिषी एवं जोहरी विशाल सोनी ने Local 18 को बताया कि कुंडली में गुरु की ऊर्जा कम होने पर पुखराज पहना जाता है. पुखराज पहनने से व्यापार में वृद्धि होती है. सामाजिक सम्मान मिलता है. पढ़ाई में मन लगता है. दुबलेपन से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा विवाह में आ रही अड़चने दूर होती हैं. साथ ही पेट संबधित बीमारियों को दूर करने और बुद्धि विकसित करने में भी यह लाभदायक होता है.

कौन पहन सकता है पुखराज
अगर जातक की कुंडली में गुरु 6, 8 और 12 वें स्थान पर है तो पुखराज नहीं पहनना चाहिए. इससे व्यक्ति को शारीरिक नुकसान होता है. धनु लग्न या मीन लग्न है तो पुखराज धारण कर सकते हैं. पुखराज रत्न को चांदी या सोने की धातु में लगवाकर तर्जनी उंगली में गुरुवार के दिन ही चौघड़िया देखकर शुभ मुहूर्त में पहनना चाहिए. ये 6 से 7 साल तक काम करता है.