वॉशिंगटन । अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के लिए भारतीयों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत, चीन, मैक्सिको एवं फिलीपींस के लोगों के लिए ग्रीन कार्ड के लंबे और कष्टदायक इंतजार की वजह इसके आवंटन में हर देश के लिए निर्धारित कोटा व्यवस्था है, जिसे संसद ही बदल सकती है। ग्रीन कार्ड को आधिकारिक रूप से स्थायी निवास कार्ड के रूप में जाना जाता है। ग्रीन कार्ड अमेरिका में आव्रजकों को जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज है, जो इस बात का प्रमाण है कि ग्रीन कार्ड धारक को स्थायी रूप से देश में रहने की अनुमति दी गई है। आव्रजन कानून के तहत हर साल तकरीबन 1 लाख 40 हजार रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं।
हालांकि, इनमें से हर साल किसी एक देश को केवल सात प्रतिशत ग्रीन कार्ड मिल सकते हैं। अमेरिका नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं के निदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डगलस रैंड ने कहा कि अमेरिका में स्थायी रूप से रह रहे किसी व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को दिए जाने वाले ग्रीन कार्ड पर वार्षिक सीमा पूरी दुनिया के लिए 2 लाख 26 हजार है, जबकि रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड की वार्षिक सीमा 1 लाख 40 हजार है। उन्होंने वीजा तथा दूतावास संबंधी मुद्दों पर ऑनलाइन आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकियों से कहा कि परिवार के सदस्यों को दिए जाने वाले और रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड पर हर देश के लिए सालाना सात प्रतिशत का कोटा है।
रैंड ने एक सवाल के जवाब में कहा क‍ि इसलिए भारत, चीन, मैक्सिको और फिलीपींस के लोगों को अन्य देशों के लोगों के मुकाबले लंबा इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने कहा क‍ि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से केवल अमेरिकी संसद ही इस वार्षिक सीमा में बदलाव कर सकती है। हमारा काम यह है कि जब ये ग्रीन कार्ड उपलब्ध हो, तो हम यह सुनिश्चित करे कि हर साल इनका इस्तेमाल किया जाए।