स्थाई वीसी के बिना नेक की टीम ने किया निरीक्षण 

यूजीसी की मान्यता मिलने की संभावना 

भोपाल । राजधानी भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के स्थाई और नियमित कुलगुरु (वीसी) की नियुक्ति अधर में लटकने की स्थिति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की नेक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन कौंसिल) याने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद की टीम ने विश्वविद्यालय का तीन का निरीक्षण पूरा कर लिया, जिसके बाद इसे यूजीसी की मान्यता मिलने की संभावना बढ़ गई है । निरीक्षण के समय कार्यवाहक वीसी एवं आयुक्त, जनसंपर्क विभाग डॉ. सुदाम खाड़े पूरे समय थे । एक ओर जहाँ यूजीसी विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों को शोध और अधोसंरचना आदि के लिए करोड़ों रुपए की धनराशि देगी, वहीं दूसरी तरफ उसे रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) का अनुदान भी मिलने लगेगा । यह सभी राशि सौ करोड़ रुपये से भी अधिक  होने की संभावना है ।

नेक की टीम में छह सदस्य थे, ये हैं—प्रो. निरंजन वनाली (वाइस चांसलर बेंगलुरु नार्थ यूनिवर्सिटी, कोलार, कर्नाटक), डॉ. सुरभि दाहिया (प्रोफ़ेसर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, साउथ दिल्ली), डॉ. रईस खान (प्रोफ़ेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी बाबा साहब अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश), डॉ. दिब्यज्योति भट्टाचार्जी (प्रोफ़ेसर, सांख्यिकी विभाग असम विश्वविद्यालय सिल्चर, असम), डॉ.  नंद कुमार सुब्रमण्यम (अध्यक्ष, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, पेरियार विश्वविद्यालय, सलेम, तमिलनाडु), और डॉ. पवन कुमार शर्मा ( प्रोफ़ेसर, वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय, कोटा, राजस्थान) । 

नेक की टीम इसी हफ़्ते अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगी । अब देखना है एमसीयू को कौन-सी ग्रेड मिलती है । इसकी ग्रेड नौ कैटेगरी में हैं । ये इस प्रकार हैं—ए++, ए+, ए, बी++, बी+, बी, सी++, सी+, सी । 

पिछले 32 सालों से यह विश्वविद्यालय फ़ीस के दम पर चल रहा है । इसे कहीं से भी अनुदान नहीं मिलता है । देश भर में इसके कुल 1600 अध्ययन केंद्र हैं, जिसमें 42 राज्य के बाहर हैं । विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या 1500 है । इसमें देश के अध्ययन केंद्रों के छात्रों की संख्या मिला की जाए, तो छात्रों का यह आंकड़ा बढ़कर 175000 हो जाएगा । इस विराट विश्वविद्यालय का विशालकाय नया परिसर 50 एकड़ (58 लाख वर्ग फ़ीट ) क्षेत्र में फैला हुआ है । इसके निर्माण में 160 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए और ख़ास बात यह है कि यह समुचित धनराशि विश्वविद्यालय ने अपनी आय में से ही ख़र्च की । निश्चित यादव को नियम

12-बी के अंतर्गत यूजीसी की अस्थाई मान्यता प्राप्त है । विश्वविद्यालय की कुछ खूबियाँ हैं,  तो कुछ कमियां भी हैं । विश्वविद्यालय को निरीक्षण के बाद कौन-सी ग्रेड मिलती है, इसके क़यास लगाए जा रहे हैं ।

(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ से साभार)