सनातन धर्म में हर तीज त्योहार और व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा ही व्रत वट सावित्री व्रत है. जो सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत को लेकर ये मान्यता है कि इस व्रत को रखने से परिवार के लोगों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं. वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का विशिष्ट महत्व माना गया है. पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है. आइए आज हम आपको वट सावित्री व्रत से जुड़ी बातें बताने वाले हैं.

पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है वट सावित्री व्रत
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि वट सावित्री का व्रत महिलाओं के लिए बेहद ही अहम भूमिका निभाता है. वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए व्रत रखतीं हैं. व्रत के दौरान महिलाएं बरगद पेड़ के नीचे पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन सावित्री सत्यवान की कथा कही जाती है. महिलाएं यमराज के निमित्त पूजा करने अपने पति के लंबी उम्र, बेहतर जीवन की कामना करते हैं. इस बार वट सावित्री व्रत 6 जून गुरुवार को पड़ रहा है.

वट वृक्ष की होती है पूजा
पंडित मनोज शुक्ला ने आगे बताया कि महिलाएं अगर इस दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करतीं हैं तो उन्हें शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है. पूजा के लिए महिलाएं किसी वट वृक्ष यानी बरगद पेड़ के नीचे षोड्षोपचार, पंचोपचार और दशोपचार पूजा कर सकती हैं. महिलाएं श्रृंगार सामग्री अर्पित करती हैं. इसके अलावा पूजन के बाद यथा शक्ति किसी ब्राम्हण को दक्षिणा देती हैं और पूरे दिन व्रत रखती हैं.