आज की पत्रकारिता में ललित श्रीमाल हीरे की तरह चमकते थे •पंकज पाठक•
ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया
रोटरी क्लब के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर , इलना के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार ललित श्रीमाल (70) के असामयिक निधन से मालवा की पत्रकारिता को गहरा आघात लगा है। वे महावीर जयंती जन्म कल्याणक के साधार्मिक वात्सल्य की व्यवस्थाओं में व्यस्त थे।सायंकाल एकाएक उनकी तबीयत बिगड़ी और उनका अवसान हो गया। छह माह पूर्व नईदुनिया, इंदौर के मालिक महेंद्र सेठिया, फिर पिछले महीने बाद नईदुनिया के पूर्व अध्यक्ष अभय छजलानी एवं दिग्गज पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक के निधन के बाद अभी ललित जी का जाना पत्रकारिता और समाज दोनों के लिए बहुत वेदनामय है। चारों का स्वर्गवास मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है ।
स्कूल के दिनों से मुझे ललित जी का स्नेह मिला।बड़े भाई की तरह।वे हमारे पारिवारिक थे।उनकी प्रिंटरी में मैं साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के निमंत्रण पत्र और ब्रोशर छपाया करता था। उधारी भी हो जाया करती थी।हमारे समाचार भी वे उदारतापूर्वक प्रकाशित कर देते थे। व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में वे बहुत सलीकेमंद थे।अपने व्यक्तित्व और भाषण से वे अपना सकारात्मक प्रभाव छोड़ते थे ।
पहले उनके अख़बार का नाम ब्रिगेडियर था, जो बाद में मध्यांचल हो गया।मालवा की पत्रकारिता में ललित श्रीमाल का ऊँचा स्थान था। उनकी उपस्थिति अलग ही झलकती थी। नईदुनिया में वे अभय छजलानी के निकट रहे और नवभारत में प्रफुल्ल कुमार माहेश्वरी के।
पत्रकारिता के अलावा समाचार पत्र मालिकों के संगठन ’इलना’, रोटरी क्लब और समाज की गतिविधियों में पूरी तरह से सक्रिय रहे। उन्होंने बहुत ही साफ-सुथरी पत्रकारिता की और हमेशा सच का साथ दिया। वे बुद्धिजीवी पत्रकार थे और उनके आचरण, बोलचाल तथा प्रस्तुतीकरण में उनकी विनम्रता दिखाई देती थी।अपनी इसी चारित्रिक उत्कृष्टता के कारण वे स्पष्टवादी, इमानदार और जनोन्मुखी भी थे। उन्होंने कभी किसी को तक़लीफ़ नहीं पहुँचाई और जनहित के कार्यों में सदैव आगे रहे। यदि यह कहा जाए कि वे छोटे शहर के बड़े पत्रकार थे, तो इसमें कुछ ग़लत नहीं होगा। अपने हिन्दी दैनिक समाचार पत्र मध्यांचल के लिए वे पूरी तरह समर्पित थे।अपने पिता रामचंद्र श्रीमाल जी की तरह उन्हें अभी बहुत कुछ कार्य करने थे ।ऐसे कर्मठ और लगनशील पत्रकार एवं समाजसेवी को लोग हमेशा याद रखेंगे।मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !