हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा पर्व का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर स्नान-दान और गुरु का आशीर्वाद लेने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुःख दूर हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी इस दिन के महत्व को विस्तार से बताया गया है।

गुरु पूर्णिमा 2023 कब?

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुभारंभ: 02 जुलाई को रात्रि 10:21 से

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त: 03 जुलाई को शाम 05:08 पर

गुरु पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय

कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन 'ॐ बृ बृहस्पतये नमः' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें। फिर प्रत्येक गुरुवार के दिन इस क्रिया को करें।गुरु दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति या प्रभाव को कम करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में घर पर गुरु यंत्र स्थापित करें। ऐसा करने से व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है।व्यक्ति का यदि कोई गुरु नहीं है तो भगवान विष्णु को अपना गुरु मानें और उनकी पूजा-अर्चना करें।

मान्यता है कि श्री हरि की उपासना करने से गुरु दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।पढ़ाई में उत्तीर्ण परिणाम प्राप्त करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन गौ सेवा करें और शुभ मुहूर्त में गुरु का आशीर्वाद लें। साथ ही इस विशेष दिन पर गीता के पाठ को भी बहुत ही फलदाई माना जाता है।गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। इसलिए इस विशेष दिन पर किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को पीली दाल, पीले रंग का वस्त्र या इस रंग की मिठाई का दान करें। ऐसा करने से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं।