भोपाल । मप्र में नए वित्तीय वर्ष में बिजली अपभोक्ताओं पर दोहरी मार पडऩे वाली है। एक तरफ जहां बिजली की दरे बढऩे जा रही है, वहीं स्मार्ट मीटरिंग सिस्टम से बिजली उपभोक्ताओं को झटका लगने वाला है। मप्र विद्युत नियामक आयोग को नई बिजली दर के लिए दिए गए प्रस्ताव में दो ऐसे प्रावधान हैं, अगर इन्हें मंजूरी मिल जाती है तो स्मार्ट मीटर से बिजली लेने वाले उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ जाएगा। हैरानी की बात यह है कि यह एकदम से तो नहीं दिखेगा, लेकिन इसका असर दर पर दिखेगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जो बिजली की दर बढ़ेगी, उसमें स्मार्ट मीटर की राशि भी जुड़ सकती है। यह राशि बिल के किसी कॉलम में अलग से नहीं दिखेगी। महाराष्ट्र में इन शर्तों पर स्मार्ट मीटर लगाने का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। वहां इसके विरोध में बाकायदा एक संगठन तक बना लिया गया है। वहीं 4 साल पहले तक हर माह मीटर का किराया सिंगल फेस के हर 10 रुपए, थ्री फेस के 25 रुपए, फैक्ट्री वगैरह के 125 रुपए लिए जाते थे। अब नए कनेक्शन के साथ कीमत ले ली जाती है। इसके तहत सिंगल फेस के 801 रु., थ्री फेस के 2192 रु. और बड़े कनेक्शन 20 किलोवॉट से ऊपर के लिए 20,393 रूपए लिए जा रहे हैं।


बिल में इस कारण होगी बढ़ोतरी
 दो प्रावधानों से बिजली के बिल में वृद्धि होगी। पहला टाइम ऑफ दि डे टैरिफ और दूसरा टोटैक्स मॉडल से स्मार्ट मीटर। बिजली के नए टैरिफ के लिए दायर याचिका में स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए टाइम ऑफ दि डे टैरिफ (टीओडी) लागू करने का प्रस्ताव है। वर्तमान में यह व्यवस्था केवल दस किलोवॉट से अधिक भार वाले उपभोक्ताओं पर लागू होती है। सुबह छह से दस बजे और शाम छह से रात दस बजे के बीच पीक अवर्स में बिजली की दर सामान्य टैरिफ से 20 प्रतिशत अधिक होगी, जिससे बिल में वृद्धि होगी। वहीं स्मार्ट मीटरिंग सिस्टम के लिए टोटैक्स मॉडल को स्वीकृति देने का प्रस्ताव है, जिसमें मीटर की खरीद, स्थापना और आईटी संचार नेटवर्क की लागत शामिल है। इस मॉडल में रखरखाव, डेटा ट्रांसमिशन, साइबर सुरक्षा, बिलिंग, ग्राहक सेवा, सॉफ्टवेयर अपग्रेड और लाइसेंस शुल्क को भी ध्यान में रखा गया है।  खरीदी और रखरखाव की लागत को एक साथ वसूलने के लिए लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी, जिसे उपभोक्ताओं के टैरिफ में समाहित किया जाएगा, जिससे बिलों में नई लागत जुडऩे से टैरिफ महंगा हो जाएगा।  


स्मार्ट मीटर के नाम पर 754.32 करोड़ मांगे
 दरअसल, बिजली कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के सामने वित्तीय वर्ष के लिए जो टैरिफ पिटीशन दायर की है, उसमें स्मार्ट मीटर के नाम पर 754.32 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। कंपनी ने 235 पेज की टैरिफ पिटीशन की कंडिका 8.11.4 में स्मार्ट मीटर के रखरखाव, सुधार, निगरानी व डेटा भेजने के वार्षिक शुल्क का जिक्र किया है। याचिका की कंडिका 9.5.7 में स्मार्ट मीटर लगाने वाली निजी एजेंसी को दी जाने वाली प्रारंभिक किस्त व 8 से 10 साल तक दी जाने वाली लीज शुल्क का जिक्र किया है। यह राशि कम से कम साढ़े 7 साल और अधिकतम 10 साल तक किस्तों के रूप में महीने के बिलों में जुडकऱ आती रहेगी। आयोग द्वारा बिजली कंपनी की इस पिटीशन पर जनवरी में की गई सुनवाई में कई लोगों ने इस पर आपत्ति भी जताई है। एक्सपर्ट भी कहते हैं कि यह न्यायोचित नहीं है।


18 प्रतिशत जीएसटी सहित वसूली जाएगी किश्त
आयोग में स्मार्ट मीटर के इस खर्च पर आपत्ति दर्ज कराने वाले बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि एक स्मार्ट मीटर की किस्त 18 प्रतिशत जीएसटी सहित वसूली जाएगी। इसमें पहली किस्त के तौर पर 1500 और जीएसटी 270 रुपए जुड़ेगा। बाद की किश्तों में साढ़े 7 साल में कुल लगभग 14,310 रु. वसूले जाएंगे। इस पर रखरखाव, निगरानी और डेटा भेजने का शुल्क 1200 रुपए हर साल लिया जाएगा। ये सब मिलाकर एक मीटर पर कुल राशि 25 हजार 80 रुपए होती है। यह राशि उपभोक्ताओं से टैरिफ में जोडकऱ वसूलने का प्रस्ताव है। बिजली कंपनी के रिटायर्ड कमर्शियल डायरेक्टर एसके श्रीवास्तव बताते हैं कि मीटर किराया लेना 4 साल पहले ही बंद किया जा चुका है। अब नया कनेक्शन देने के साथ ही मीटर का खर्च ले लिया जाता है। स्मार्ट मीटर हो या अन्य मीटर इसकी राशि टैरिफ में जोडकऱ नहीं ली जानी चाहिए। यदि उपभोक्ताओं से यह लेनी ही तो उसे अलग से बताना भी चाहिए। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि मीटर का किराया पहले भी लिया जाता रहा है। उपभोक्ताओं को यह मालूम भी है। अब डिजिटल मीटर लगाने पर कनेक्शन के साथ राशि ली जा रही है। स्मार्ट मीटर की राशि भी लीज शुल्क के रूप लिए जाने का प्रस्ताव है।