भोपाल में अब नहीं होगी टाइगरों की घुसपैठ •पंकज पाठक•
रातापानी बना देश का 56 वाँ टाइगर रिजर्व, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा लोकार्पण
बढ़ेगा पर्यटन और रोजगार, बाघों को भी मिलेगा विचरण का विशाल क्षेत्र
भोपाल । सर्वाधिक 90 बाघों के रातापानी अभयारण्य से लगी मप्र की राजधानी भोपाल ने आज राहत की साँस ली, क्योंकि भोपाल से 50 किलोमीटर दूर रायसेन ज़िले के रातापानी अभयारण्य को आज दुनिया के बड़े टाइगर रिजर्व में सम्मिलित कर लिया गया । अब यहाँ बाघों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा और राजधानी भोपाल को भी दहशत से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि ये बाघ आए दिन रात के अंधेरे में राजधानी में प्रवेश कर जाते थे और आए दिन वन विभाग को 24 घंटे चौकसी करनी पड़ती थी ।
भोपाल दुनिया की अकेली राजधानी है, जो बाघों से घिरी है । इस टाइगर रिज़र्व का 6.89 किलोमीटर का बफर जोन भोपाल में आता है । टाइगर रिज़र्व का कुल क्षेत्रफल 1271.456 वर्ग किलोमीटर है । अभी देश में 55 और मध्य प्रदेश में सात टाइगर रिज़र्व हैं । केंद्र सरकार ने इसकी स्वीकृति 17 साल पहले दे दी थी, लेकिन मध्य प्रदेश के ढीले-ढाले वन विभाग के कारण राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मात्र तीन बाघों वाले शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान को गत एक दिसंबर को टाइगर रिज़र्व बनाने की मंज़ूरी प्रदान कर दी । शिवपुरी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा क्षेत्र में सम्मिलित है । हालाँकि रातापानी को यह मंज़ूरी मिल चुकी है, लेकिन राज्य शासन को प्रस्ताव भेजकर इसका नोटिफिकेशन जारी होना था । पर इसकी फ़ाइल विधि विभाग में दब गई । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के आदेशों तक की अवहेलना की गई । बाद में जब हल्ला मचा, तो दो दिसंबर को आनन-फ़ानन में राज्य सरकार की अधिसूचना जारी की जा सकी ।
मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने टाइगर रिज़र्व का लोकार्पण करते हुए कहा है कि प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व का नाम विश्व विख्यात पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर होगा । रातापानी टाइगर रिजर्व में स्थित विश्व धरोहर भीमबेटका को डॉ. वाकणकर के अथक परिश्रम के परिणाम स्वरुप ही पहचान प्राप्त हुई है।
रणदीप हुड्डा भी हुए शामिल
फ़िल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा भी कार्यक्रम में शामिल हुए । मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अभिनेता हुड्डा की प्रशंसा और स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने फिल्म में अपनी भूमिका के माध्यम से देश की स्वतंत्रता में वीर सावरकर के योगदान को वर्तमान पीढ़ी के लिए जीवंत कर दिया।
रातापानी टाइगर रिजर्व की विशेषताएं
* बाघों के इस गढ़ में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे यह क्षेत्र बाघों का एक महत्वपूर्ण बसेरा बन गया है।
* वर्ष 1976 में रातापानी को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। रातापानी न केवल बाघों बल्कि कई अन्य वन्य जीवों का भी घर है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां लोग प्रकृति की विविधता को करीब से देख सकेंगे।
* रायसेन एवं सीहोर जिले में रातापानी अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 1272 वर्ग किलोमीटर पूर्व से अधिसूचित है। अभी रिजर्व के कुल क्षेत्रफल में से 763 वर्ग किलोमीटर को कोर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह वह क्षेत्र है, जहां बाघ बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेंगे।
* शेष 507 वर्ग किलोमीटर को बफर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह क्षेत्र कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थित है और इसका उपयोग कुछ प्रतिबंधों के साथ स्थानीय समुदायों के लिए किया जा सकेगा।
* रातापानी के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों की आजीविका इस क्षेत्र से जुड़ी हुई है। टाइगर रिज़र्व बनने के कारण यह पर्यटन को और बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ से साभार)