नई दिल्ली । पीएम नरेंद्र मोदी आसियान शिखर सम्मेलन में शा‎मिल होने के लिए जकार्ता की यात्रा पर जाने वाले हैं। बता दें ‎कि यह यात्रा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के ढांचे के भीतर काफी महत्व रखती है। जानकार बता रहे हैं ‎कि भारत की विदेश नीति रणनीति की आधारशिला के रूप में काम करने वाली आसियान साझेदारी के साथ, यह जुड़ाव क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने और संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है। जकार्ता में आसियान-संबंधित शिखर बैठकों में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी भारत-प्रशांत क्षेत्र में राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। 6 से 7 सितंबर तक होने वाली यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की एक साल के भीतर दूसरी इंडोनेशिया यात्रा है। पिछले साल पीएम मोदी ने आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था। साल 2022 में आसियान देशों के सभी सदस्यों के विदेश मंत्रियों की विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक हुई थी। जिसमें आपसी सहयोग के 17 सूत्रीय एजेंडा तो अंतिम रूप दिया गया था। 
हालां‎कि भारत और आसियान के बीच फलते-फूलते व्यापार और निवेश संबंध उनके सहयोग की पारस्परिक रूप से लाभप्रद प्रकृति का उदाहरण देते हैं। पिछले साल एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई जब भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कंबोडिया में भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और संबंधित शिखर बैठकों में देश का प्रतिनिधित्व किया। इन बैठकों ने एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया, जिसने इस समूह के साथ भारत के सहयोग को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) के स्तर तक बढ़ा दिया। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो 5-7 सितंबर, 2023 तक जकार्ता कन्वेंशन सेंटर में आयोजित 43वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान कई बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। इन बैठकों का एजेंडा व्यापक है और इसमें 43वें आसियान शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र जैसे सत्र शामिल हैं।