ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया

बात तब की है, जब मैं गुना (मप्र) में 1992 से 1994 तक नईदुनिया, इंदौर के  एक और दैनिक मध्यक्षेत्र का सम्पादक था । एक दिन गुना के सर्किट हाउस में राजमाता विजय राजे सिंधिया से भेंट हुई । उनसे इंटरव्यू भी किया । इसी बीच वहाँ सफ़ेद धोती-कुर्ता में एक सज्जन आए । वे राजमाता के साथ ही गुना आए थे ।राजमाता ने उनसे मेरा परिचय कराते हुए कहा कि—“ ये प्रभात झा हैं । ये स्वदेश, ग्वालियर में पत्रकार हैं ।”

उस दिन से मेरी प्रभात जी से दोस्ती हो गई । वर्ष 1993 में पार्टी ने 36 वर्षीय प्रभात जी को प्रदेश भाजपा कार्यालय दीनदयाल परिसर में भाजपा के पहले प्रदेश संवाद-संपर्क प्रमुख का दायित्व सौंपा । इसके बाद उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा और आगे बढ़ते गए । 67 की उम्र तक सक्रिय रहे । कुछ माह पहले ही वे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मिले थे । वे कार्यालय में ही निवास करते थे ।

उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ को हाईटेक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । पत्रकारों को पार्टी संबंधी संदर्भ सामग्री उपलब्ध कराने के लिए वे हमेशा तत्पर रहते थे । आपने प्रदेश के नेताओं और पत्रकारों के बीच सेतु का कार्य बहुत ही कुशलता से निभाया । यही कारण है कि वे पत्रकारों में बहुत लोकप्रिय थे । प्रदेश के सभी नेताओं का उन्होंने विश्वास प्राप्त किया था और उनके कार्यों के लिए भी वे हमेशा तैयार रहते थे ।

उनका राजनीतिक आभामंडल मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक दिखाई देने लगा था । पार्टी के केंद्रीय नेताओं से उनका सीधा संपर्क था । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किए गए और उन्हें मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया । नरेंद्र मोदी की भोपाल की सभी यात्राएं प्रभात झा के कार्यकाल में हुईं । यहाँ भी वे नरेंद्र मोदी और पत्रकारों के बीच समन्वय का कार्य करते रहे । आपने अनेक पत्रकारों की नरेंद्र मोदी से कई-कई बार भेंट कराई । मैं भी इसमें शामिल था । मैं जितने भी बार मोदी जी से मिला, उनसे इंटरव्यू किया ।

मध्य प्रदेश में प्रभात झा का प्रभाव बढ़ता जा रहा था । लेकिन इसी बीच उनका दायित्व परिवर्तित कर दिया गया और पार्टी ने उन्हें दिल्ली बुला लिया । यह वह दौर था, जब पार्टी ने मध्य प्रदेश भाजपा को खंगाल दिया था । तब तक (2001) नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए जा चुके थे । भाजपा संगठन में वह लाल कृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन और अरुण जेटली का ज़माना था । अटल जी प्रधानमंत्री थे । भाजपा आलाकमान ने एक बड़ी रणनीति के तहत फ़ैसला लेते हुए कैलाश जोशी को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया, कप्तान सिंह सोलंकी प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री बनाए गए और बाबूलाल ग़ौर नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए थे । इसी तारतम्य में प्रभात जी को पार्टी आलाकमान ने अपने केन्द्रीय कार्यालय, दिल्ली में प्रकाशन विभाग का कार्य सौंपा । इस परिवर्तन के बाद ही मध्य प्रदेश से कांग्रेस की विदाई हुई और उमा भारती शीर्ष पर पहुँचीं ।

भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में भी प्रभात जी ने उल्लेखनीय कार्य किया । आपने कुशाभाऊ ठाकरे पर एकाग्र तीन महत्वपूर्ण ग्रंथों सहित अनेक पुस्तकें प्रकाशित कीं ।दिल्ली में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के कारण 2007 में वे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बनाए गये । प्रभात जी को पार्टी ने दो लगातार दो बार—2008 और 2014 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा का सदस्य बनाया । इसके बाद उन्हें प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया और 2015 में कुछ वर्ष वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे । इस दौरान उन्होंने दिल्ली, पंजाब और चंडीगढ़ के पार्टी-प्रभारी के दायित्व का निर्वहन भी किया ।

वे अच्छे पत्रकार, लेखक और वक्ता थे । आप मूलतः बिहार के थे, लेकिन उन्होंने ग्वालियर को अपनी शिक्षास्थली और कर्मस्थली बनाया । प्रदेश की राजनीति में आने के बाद फिर वे भोपाल में रहे । भारतीय राजनीति में प्रभात जी ने एक पढ़े-लिखे, समझदार और बौद्धिक राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाई, जिसका हमारे यहाँ नितांत अभाव है । ढर्रे से बाहर जाकर सियासत करने वाले ऐसे सौम्य, गंभीर, हँसमुख, ज़िंदादिल और हास्यबोध रखने वाले प्रभात जी कभी विस्मृत नहीं हो सकते ।

💐 सादर श्रद्धांजलि !