एमसीयू के नए वीसी के चयन में नया मोड़, राष्ट्रपति सचिवालय ने किया हस्तक्षेप •पंकज पाठक•
सच्चिदानंद जोशी का नाम सामने आया
उदय माहुरकर और श्यामलाल यादव भी दौड़ में
विकास दवे, विजय मनोहर, आशीष जोशी भी डटे हैं
भोपाल । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल (एमसीयू) के वाइस चांसलर पद भरने के प्रकरण में एकाएक नया मोड़ आ गया है । राष्ट्रपति सचिवालय और मुख्यमंत्री सचिवालय ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वाइस चांसलर पद पर चयन प्रक्रिया को लेकर जो याचिका प्रस्तुत की गई है, उसका परीक्षण कर उचित कार्रवाई की जाए । याचिका में कहा गया है कि एमसीयू विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से संबद्ध है, अतः उपरोक्त पद के लिए यूजीसी के नियमों का पालन होना चाहिए । पद के लिए अनेक ऐसे उम्मीदवारों ने भी आवेदन किए हैं, जो यूजीसी के नियमों का पालन करते हैं । पर यह कहा जा रहा है कि ऐसे उम्मीदवारों पर भी विचार हो सकता है, जो यूजीसी की पात्रता पूरी नहीं करते हैं । इसी बीच डॉ. सच्चिदानन्द जोशी का नाम अग्रणी बनकर सामने आया है !
जोशी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के सदस्य सचिव एवं कार्यकारी और अकादमिक प्रमुख हैं । यहाँ उनका पाँच साल का एक कार्यकाल पूरा हो गया है और अब इसी पद पर दूसरा कार्यकाल चल रहा है, जिसे पूरा होने में अभी 3 वर्ष बाक़ी हैं । आप इतिहास और जनसंचार के विद्वान, लेखक, कवि और अभिनेता हैं। वे कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के संस्थापक कुलपति थे । यहाँ वे 10 साल वीसी रहे । वे एमसीयू के भी संस्थापक रजिस्ट्रार भी थे ।
एमसीयू के कर्मवीर रेडियो के केंद्र निदेशक डॉ. आशीष जोशी और मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी, भोपाल के निदेशक डॉ. विकास दवे के नाम भी वज़नदार हैं। साथ ही भारत भवन न्यास के न्यासी सदस्य और पूर्व सूचना आयुक्त, पत्रकार विजय मनोहर तिवारी भी शामिल हैं ।
पूर्व में इंडिया टुडे के दो पत्रकार उदय माहुरकर और श्यामलाल यादव के नाम भी चर्चा में आए थे । माहुरकर पिछले वर्ष तक केंद्रीय सूचना आयुक्त रहे हैं । इंडिया टुडे के ये दोनों पत्रकार भी आवेदकों से हटकर हैं । सभी उम्र की पात्रता पूरी करते हैं । याने इनमें से यदि किसी की भी नियुक्ति होती है, तो चार वर्ष का सेवाकाल पूरा करने के बाद उनकी आयु 65 वर्ष से अधिक नहीं होगी ।
ये सभी नाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की व्यक्तिगत जानकारी में हैं । कुलगुरु के नाम के चयन के लिए गठित तीन सदस्यीय सर्च कमेटी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को नहीं भेजी है । यह राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग का विशेष विश्वविद्यालय हैं और इसकी महापरिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं । इसलिए सर्च कमेटी अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजेगी । हालाँकि सर्च कमेटी की कम-से-कम दो बैठकें हो चुकी हैं ।
(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ से साभार)