नई दिल्ली ।  सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज पर एक दशक पहले एक लॉ इंटर्न ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद जज ने 5 करोड़ की मानहानि का केस कर दिया। अब दोनों के बीच समझौता हो गया है, जिसके बाद केस से संबंधित सारे रिकॉर्ड सीलबंद कर दिए गए हैं। एग्रीमेंट के तहत दिसंबर 2013 में पूर्व जज के खिलाफ दिए अपने शिकायती पत्र को इंटर्न वापस लेने के लिए तैयार हो गई। इस पत्र को उन्होंने तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल को भेजा था। साथ ही शिकायतकर्ता ने कहा है कि वह भविष्य में पूर्व जज के खिलाफ कोई दावा या यौन उत्पीड़न के आरोप नहीं लगाएगी।
जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्न ने 24 मार्च के अपने आदेश में एग्रीमेंट का संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष लंबित मामले को खत्म कर दिया। पूर्व जज भी इस बात पर राजी हुए हैं कि वह भविष्य में इंटर्न के खिलाफ कोई दावा नहीं करेंगे। दोनों पक्षों ने कोर्ट से सभी रिकॉर्ड सीलबंद करने का अनुरोध किया है। शिकायतकर्ता और पूर्व जज के बीच समझौते में कहा गया है कि इसका न सिर्फ वे पालन करेंगे, बल्कि उनके परिवार के सदस्य, एजेंट और वकील भी इसे मानेंगे।
जस्टिस जोसेफ की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि सभी पक्ष समझौते की शर्तों से बंधे हैं। हम यह निर्देश देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका, हाई कोर्ट में मूल केस, दस्तावेज, लिखित जवाब, आवेदन आदि जो भी न्यायिक रिकॉर्ड में शामिल किए गए थे, सभी को सीलबंद कर रिकॉर्ड रूम में भेजा जाएगा। पूर्व जज की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में लॉ इंटर्न के खिलाफ मानहानि का केस किए जाने के बाद कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोक दिया था।