धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही सिंगल यूज प्लास्टिक
जबलपुर । शहर से प्रतिदिन करीब २५ टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। यह हाल तब है जब सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगे ४५ दिन से अधिक का समय गुजर चुका है. चाय की दुकान से लेकर रेस्टोरेंट, किराना दुकान हर कहीं प्लास्टिक इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. प्रशासन और नगर निगम भी आदेश का लागू करवाने के बजाय प्लास्टिक को नजर अंदाज करते नजर आ रहा है. वहीं दूसरी तरफ सिंगल यूज प्लास्टिक से जुड़े मसले पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम को स्थानीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम करना था। व्यापारियों, आम लोगों को इसके उपयोग से होने वाले नुकसान और नए नियम के संदर्भ में बताया जाना चाहिए था। उसमें भी खाना पूर्ति कर अभियान ठण्डे बस्ते मं चला गया. हालत यह है की शहर में छोटे दुकानदारों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे पता ही नहीं की प्रतिबंध लगा हुआ है. किसी को यह नहीं पता की कोई प्रतिबंध है. तो किसी को वैâरीबैग पर प्रतिबंध की जानकारी है, लेकिन कप-प्लेट चम्मज आदि दूसरी प्लास्टिक सामग्री पर भी प्रतिबंध को लेकर उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
पहले की तरह बिक रहा माल............
प्लास्टि से बने उत्पाद का विक्रय सबसे ज्यादा गुरंदी और मुकादमगंज के बाजार में होता है। यहां दुकानों में बड़ी मात्रा में डिस्पोजल प्लास्टिक की सामग्री विक्रय की जाती है। दोना-पत्तल से लेकर प्लेट चम्मच सबकुछ यहां मिलता है। इसके अलावा मिलौनीगंज, रांझी, ग्वारीघाट के आसपास भी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक की सामग्री विक्रय होती है। प्रतिबंध प्रभावी होने के ४५ दिन पहले जिस तरह सिंगल यूज प्लास्टिक यहां बिक रही थी, वैसी ही आज बिक रही है.
२५ टन प्लास्टिक कचरा हर दिन .......
शहर में प्रतिदिन करीब ४५० टन कचरा निकल रहा है। इसमें २५ टन के आसपास प्लास्टिक कचरा होता है। पर्यावरण के लिहाज से प्लास्टिक का विनिष्टीकरण करना घातक होता है। इसके अलावा प्लास्टिक उत्पाद को यहां-वहां फेंकने पर नाले-नालियों में कचरा जमा हो जाता है, जिस वजह से जल भराव होता है।
चार ट्रक माल जब्त करने का दावा.........
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को लेकर कार्रवाई होती है। अभी तक करीब चार ट्रक जितना माल जब्त किया गया है। दो ट्रक माल तो पिछले १० दिनों जब्त हुआ है। उनके अनुसार जहां भी सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद मिलता है उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई की जाती है। जुर्माना न्यूनतम २०० रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक लगाया जा सकता है। भूपेंद्र सिंह के मुताबिक जोन में पदस्थ सीएसई को दस हजार रुपये, स्वास्थ्य अधिकारी को ५० हजार रुपये और अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी को एक लाख रुपये तक का जुर्माना करने का अधिकार है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डा.आलोक जैन का दावा है कि उनके अधीन शहर के पांच औद्योगिक इकाईयों में सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण हो रहा था। जिन्हें बंद करवा दिया गया है। इस संबंध में कोर्ट में भी हलफमाना दिया हुआ है।
इन पर है प्रतिबंध.......
प्लास्टिक इयर बड,बैलून के साथ उपयोग होने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, सजावट में उपयोग होने वाला थर्माकोल की सामग्री। प्लास्टिक प्लेट, कप, चम्मच,कांटे वाली चम्मच,स्ट्रा ट्रे, कटलरी आइटम,मिठाई के डिब्बे, सिगरेट के डिब्बे की पैकिंग में लगने वाली प्लास्टिक शीट, प्लास्टिक पीबीसी से निर्मित बैनर,स्टीकर जिनकी मोटाई १०० माइक्रोन से कम है ये सभी के निर्माण पर पाबंदी है।