एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में शीर्ष कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और महाराष्ट्र राज्य से जवाब मांगा है। शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में आरोपी कार्यकर्ता शोमा कांति सेन की स्वास्थ्य आधार पर जमानत की अंतरिम याचिका पर सुनवाई की।सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने आरोपी शोभा सेन के आवेदन पर एनआईए और राज्य को नोटिस जारी किया।

बता दें कि शोभा सेन अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्हें एल्गार परिषद माओवादी लिंक मामले में 6 जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया था।बुधवार को सुनवाई के दौरान शोभा सेन का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत की मांग की है। उन्होंने इसका तर्क देते हुए कहा कि उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।

वे 65 साल की हैं और बीते पांच साल से न्यायिक हिरासत में हैं।इस पर पीठ ने ग्रोवर से पूछा कि क्या सेन का मामला दो अन्य सह-आरोपियों के समान है जिन्हें पहले शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी थी। इस पर ग्रोवर ने कहा कि वह पांच साल से न्यायिक हिरासत में हैं और मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। फिलहाल, पीठ ने मामले की सुनवाई 4 अक्टूबर के लिए तय कर दी है।

हाई कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, पुणे द्वारा नवंबर 2019 में पारित आदेश को चुनौती देने वाली सेन की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें जमानत के लिए उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।बता दें कि गिरफ्तारी के बाद उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था। जहां हाईकोर्ट ने 17 जनवरी को जमानत के लिए उन्हें विशेष एनआईए अदालत से संपर्क करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ शोभा सेन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।