कोंडागांव के एरोमा मिशन की महक यूरोप और ईस्ट एशिया तक
रायपुर : धान की फसल लेने वाले कोंडागांव के किसानों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की नवाचार अपनाने की पहल का स्वागत करते हुए एरोमैटिक फसलों की दुनिया में कदम रख लिया है। वनाधिकार पत्र से प्राप्त जमीन पर उन्होंने एरोमैटिक फसलें लगाई हैं। इसकी प्रसंस्करण ईकाई भी गौठान में लगा दी गई है। धान में जहां किसानों को 25 हजार रुपए का लाभ होता है, वहीं एरोमैटिक फसलों में 75 हजार रुपए तक लाभ होने की उम्मीद है। इसके लिए बाजार चिन्हांकित कर लिया गया है। शासन ने गौठान में प्रसंस्करण ईकाई लगा दी है। जिले के वनाधिकार क्लस्टर, व्यक्तिगत किसानों द्वारा एरोमैटिक फसलें ली जा रही हैं। इससे पूरे क्षेत्र में आर्थिक संभावनाओं के बड़े अवसर पैदा हुए हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इसका शुभारंभ 20 जून 2021 को किया था। एरोमैटिक फसलों का उत्पादन इस दिशा में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एरोमैटिक आइल से मच्छरों को भगाने में मदद मिलती है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप जिले के सीमांत एवं लघु कृषकों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा सुगंधित फसलों की खेती के लिए जिले में ‘ऐरोमेटिक कोंडानार‘ अभियान प्रारंभ किया गया है। राजागांव में ही इन सुगंधित फसलों से सुगंधित तेलों को निकालने हेतु फील्ड डिस्टिलेशन यूनिट की स्थापना की गई है। जिससे किसानों को परंपरागत फसलों से 10 गुना अधिक लाभ प्राप्त होगा। इस सुगंधित तेल का उपयोग इत्र बनाने, साबुन बनाने, हैंडवाश, सेनेटाइजर और मच्छर भगाने के केमिकल बनाने में किया जाता है ।
उत्पादन केन्द्र में ही मिला बाजार
एरोमैटिक कोंडानार के प्रबंधन समिति इंदिरा वन मितान समूह के सदस्य श्री हरिश्चन्द्र कोराम ने बताया कि जिला प्रशासन का सनफ्लैग एग्रोटेक संस्था से एमओयू होने के पश्चात यहाँ उत्पादित तेल की संस्था के माध्यम से इंडोनेशिया, यूरोप और यूएस के बाजारों तक पहुंच आसान होगी । उन्होंने बताया कि अब उत्पादकों को तेल बेचने के लिए बाजार की तलाश नहीं करनी होगी, एरोमैटिक कोंडानार की सुगंध ख़रीदारों को स्वयं यहां खींच लाएगी ।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान में हुआ मददगार
एरोमेटिक पौधे से मिलने वाला एरोमेटिक ऑयल मच्छर भगाने के केमिकल में भी उपयोग किया जाता है । राज्य शासन की मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान में यह योजना सहयोगी होगी । जिससे सम्भाग में मलेरिया से होने वाली मृत्यु की दर में भी कमी आएगी ।
पारम्परिक कृषि छोड़ एरोमेटिक फसलों की खेती से किसान हो रहे समृद्ध
ग्राम मइरडोंगर से आये किसान श्री सम्पत सिंह नेताम ने बताया कि उन्हें राज्य शासन से लगभग ढाई एकड़ भूमि का वन अधिकार पत्र प्राप्त हुआ है । जिसमें पिछले कई वर्षों से वे धान की खेती कर रहे हैं, जिनसे उन्हें सालाना 25 हजार प्रति एकड़ की दर से आर्थिक आय होती थी । उन्हें जिला प्रशासन द्वारा एरोमेटिक पौधों की खेती की जानकारी मिली और उन्होंने इस वर्ष 1 एकड़ में लेमन ग्रास और लगभग डेढ़ एकड़ में (वेटिवेयर) खस का उत्पादन कर रहे हैं । एरोमेटिक ऑयल की बाजार में कीमत 1500 रुपये प्रति लीटर है । इस दर से उन्हें एकड़ में सालाना 70 से 80 हजार रुपए का लाभ होगा ।