वैदिक घड़ी होगी दुनिया के घर-घर में, ड्राइंगरूम की बढ़ाएगी शोभा •पंकज पाठक•
बिजली बचेगी, जलवायु-पर्यावरण होगा बेहतर
भोपाल । विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का उत्पादन प्रारंभ होने के बाद सबसे पहले यह ड्राइंगरूमों की शोभा बनने जा रही है। इसके बाद यह वैदिक घड़ी रिस्टवॉच के रूप में हाथों की कलाई पर दिखाई देगी । फिर यह विश्व बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगी । पहली विराट वैदिक घड़ी इसी वर्ष 29 फ़रवरी 2024 को उज्जैन की शासकीय जीवाजीराव वेधशाला के पास 85 फुट ऊँचे टॉवर पर स्थापित की गई थी । इसका आभासी-शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था । ये घड़ियाँ सभी बारह ज्योतिर्लिंगों, चारों धामों और अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में भी स्थापित की जाएँगी ।
राज्य सरकार अब विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने जा रहा ही है । साथ-ही-साथ कई विषयों पर शोध और अनुसंधान भी किया जा रहा है । अभी ये निष्कर्ष सामने आया है कि इससे अरबों करोड़ की बिजली की बचत हो सकती है । स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह सर्वोत्तम है और हेल्थ चैकअप की दृष्टि से भी । इसका प्रयोग करने से कार्बन उत्सर्जन भी बहुत कम किया जा सकता है ।
सरकार ने घड़ी के उत्पादन, शोध, प्रबंधन और विपणन का कार्य एक स्टार्टअप को सौंपा है । इसके निदेशक आरोह श्रीवास्तव ने “जनसंदेश टाइम्स” को बताया कि—“हमने टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है । यह सूर्याधारित डिजिटल टाईम सिस्टम है । हमने दीवार पर लगानेवाली 10 वैदिक घड़ियाँ भी निर्मित कर ली हैं। एक घड़ी की लागत अभी 30,000 रुपये आई है । लेकिन जब इसका बाज़ार में विक्रय होगा, तो क़ीमत काफ़ी कम हो जाएगी । अभी इसका देशभर में खगोलीय आधार पर परीक्षण किया जा रहा है । चिप भी तैयार कर ली गई है । इसे जीपीएस से भी जोड़ दिया गया है ।”
300 वर्ष पूर्व विश्व का मानक समय उज्जैन से ही निर्धारित किया गया था । प्राचीन काल में वैदिक घड़ी ही हुआ करती थी और काल गणना सूर्य के सिद्धांत पर होती थी । वर्तमान वैदिक घड़ी भी इसी सिद्धांत के आधार पर काल गणना कर रही है । इस घड़ी के निर्माण से जुड़े एक सरकारी तकनीकी विशेषज्ञ ने बताया
कि—“काल गणना की यह प्राचीनतम पद्धति विश्वसनीय और प्रामाणिक है, जिसमें त्रुटि की सम्भावना नहीं है, क्योंकि सूर्य के सिद्धांत में इसकी गुंजाइश नहीं है ।”
विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी, जो इसके निर्माण कार्य से जुड़े हैं, ने कहा कि—“यह घड़ी भारतीय पंचांग गणना पर एकाग्र है और यह ज्योतिषीय गणना करने में भी सक्षम है, बल्कि भविष्यवाणी भी कर सकती है। यहाँ तक कि मुहूर्त एवं ग्रहों की स्थिति भी यह घड़ी बता सकती है । और तो और, यह वैदिक घड़ी भारतीय मानक समय (आइएसटी) और ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) को भी दर्शाती है।”
वैदिक घड़ी ऐसे बताती है समय
- 1 बजे की जगह पर लिखा ब्रह्म—ब्रह्म एक ही- 'एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति' ।
- 2 बजे की जगह पर लिखा अश्विनौ—अश्विनी कुमार दो हैं ।
- 3 बजे के स्थान पर लिखा त्रिगुणा:, गुण तीन—'सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण' ।
- 4 बजे की जगह पर लिखा चतुर्वेदा: वेद चार- 'ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद' ।
- 5 बजे की जगह लिखा पंचप्राणा: प्राण पांच- 'अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान' ।
- 6 बजे की जगह लिखा षड्र्सा: रस 6-. मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय ।
- 7 बजे की जगह लिखा सप्तर्षय: सप्त ऋषि 7- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ ।
- 8 बजे की जगह लिखा अष्ट सिद्धिय: सिद्धियां 8-अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व ।
- 9 बजे की जगह लिखा नव द्रव्यणि, निधियां 9 प्रकार - पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व ।
- 10 बजे की जगह लिखा दशदिशः- दिशाएं 10- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश, पाताल ।
- 11 बजे की जगह लिखा रुद्रा: रुद्र 11- 'कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव' ।
- 12 बजे की जगह लिखा आदित्या:-सूर्य 12-. अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु ।
(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ से साभार)