हिंदू धर्म में कई देवी देवताओं की पूजा आराधना की जाती है. जिनकी अलग-अलग मान्यता होती है. वहीं ,हिंदू धर्म में तीन प्रकार के देवताओं जैसे कुलदेवता, ग्राम और इष्ट देवता की भी आराधना की जाती है. दरअसल, इन तीनों ही देवताओं में खास अंतर है. जिसके बारे में आइए विस्तार से जानते है.

कुलदेवता उन देवी-देवताओं को कहा जाता है, जहां पर पूर्वज और कई पीढ़ी लंबे समय से पूजा करते हुए आ रहे हैं. इसके अलावा कुलदेवता के जरिए ही कुल के लोग अपने संदेश या उपासना को भगवान तक पहुंचाते है. घर में किसी भी खास मौके पर कुल देवता को याद किया जाता है. उनके स्थान पर जाकर पूजा-अर्चना करके उन्हें आमंत्रित किया जाता है. सभी कुल के अलग-अलग देवी देवता होते हैं. इसके अलावा कुलदेवी या देवता को वंश का रक्षक भी माना जाता है.

जाने ग्राम देवता के बारे में
ग्राम देवता किसी कुल के बजाय पूरे गांव के लिए विशेष होते हैं. दरअसल, ग्राम देवता गांव या समुदाय की रक्षा के लिए होते हैं. ग्राम देवता यानी की गांव के भगवान की आराधना समाज के कल्याण के लिए की जाती है. इसके साथ ही इनकी पूजा में सभी गांव वाले शामिल होते हैं जैसे कोई त्योहार मनाया जा रहा हो.

जाने इष्ट देवता के बारे में
हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता हैं. हर इंसान अलग-अलग देवी देवताओं की अराधना करता है. इष्ट का अर्थ है प्रिय होता है. इसलिए, हर इंसान के अपने एक प्रिय भगवान होते हैं. जिसकी वह आराधना करता है. उस देवता को इष्ट देवता कहा जाता है. इष्ट देवता हमेशा मार्गदर्शन करते हैं. इसके साथ ही हमेशा रक्षा करते हैं. पंडित आनंद भारद्वाज ने कहा कि किसी भी पूजन में सबसे पहले देवी-देवताओं को याद किया जाता है. इसके बिना देवी-देवताओं के पूजन के कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. किसी भी पूजन में कुलदेवता, ग्राम देवता और ईष्ट देवता को एक साथ इसलिए याद किया जाता है. क्योंकि, किसी भी शुभ काम में सभी देवी-देवताओं का पूजन जरूरी होता है.